ज्ञानवापी परिसर का आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया सांटिफिक सर्वे कर रहा है। इसी बीच ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी वाद की वादी राखी सिंह की सहमति से विश्व वैदिक सनातन संघ के जितेंद्र सिंह बिसेन ने एक खुला पत्र हिन्दू और मुस्लिम पक्ष को लिखकर इस मामले को कोर्ट के बाहर सुलझाने की अपील की थी। अब इस मामले में राखी सिंह के अलावा चार अन्य वादी महिलाओं और उनके वकील विष्णु शंकर जैन और हरिशंकर जैन ने किसी भी प्रकार की टेबल टॉक से इंकार कर दिया है, जबकि अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने इस बारे में कमेटी में चर्चा करने की बात कही थी।
जितेंद्र सिंह बिसेन के इस खुले पत्र के वायरल होने के बाद हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और चारों अन्य वादी महिलाओं ने इस बात का खंडन किया है, और कहा है कि हम किसी भी हाल में कोर्ट के बाहर समझौता नहीं करेंगे हम समझौते की टेबल पर नहीं बैठेंगे।हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमारा क्लियर स्टैंड है। मैं, हरिशंकर जैन, हमारे दो वकील और चार वादी महिलाएं राखी सिंह को छोड़कर हम सभी बातचीत की किसी टेबल पर नहीं बैठेंगे और न ही समझौते के मुद्दे पर बात करेंगे।
विष्णु शंकर जैन ने आगे कहा कि समझौता देवता की संपत्ति के साथ नहीं हो सकता है। समझौते की बात सिर्फ शिगूफा है, इसका लीगल बेस कुछ भी नहीं है। सीपीसी ऑर्डर 23 में समझौता परमीसिबल नहीं है। इसलिए हम समझौते की बात नहीं करेंगे। समझौता तब होता है, जब आप कुछ लेना चाहते हैं और वह कुछ छोड़ना चाहते हैं।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि बैरिकेडिंग के अंदर का जो भी हिस्सा है, 1 इंच भी हम देना नहीं चाहते हैं। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को हम असंवैधानिक मानते हैं, जो अन्य मुकदमे चल रहे हैं, वह चलते रहेंग।. यह समझौते की बात हो ही नहीं सकती है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के समझौते के समय भी वे थे, वहां समझौता फेल हुआ, जो बातें वहां सामने आई थीं, वह किसी सनातनी को मान्य नहीं हो सकती हैं. इसलिए, वे समझौते में न पार्टिसिपेट करेंगे न ही समझौते में शामिल होंगे।