कृष्णदेवराय का समाधि स्थल बना मटन की दुकानों का केंद्र, केंद्रीय मंत्री का कर्नाटक सरकार से स्मारक के संरक्षण का आग्रह

नई दिल्ली, 22 अप्रैल (हि.स.)। महान विजयनगर राजा कृष्णदेवराय की समाधि मटन की दुकानों का केंद्र बन गई है। कर्नाटक सरकार इस स्थान की पवित्रता को बनाए रखने के लिए कुछ नहीं कर रही है। मंगलवार को एक ट्वीट का संज्ञान लेते हुए केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि हमारी स्थापत्य विरासत की ऐसी उपेक्षा और दुरुपयोग देखना वाकई परेशान करने वाला है।

तुंगा भद्रा के पार 64 स्तंभों वाला मंडपम, जो कि एएसआई संरक्षित स्थल या केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, हमारे इतिहास का एक अमूल्य हिस्सा है।

उन्होंने ट्वीट के माध्यम से सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार और संबंधित विभागों से आग्रह किया कि ऐसी गतिविधियों को जल्द से जल्द रोकें और इन स्थलों को राज्य संरक्षण दिया जाए। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि

यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि सबसे शानदार साम्राज्यों में से एक के अवशेषों को महत्व दिया जाए, संरक्षित किया जाए और संजोया जाए । उन्हें इतिहास के गर्त में न डाला जाए।

उल्लेखनीय है कि कृष्णदेवराय 1509 से 1529 तक विजयनगर साम्राज्य के सम्राट थे। वह तुलुव राजवंश के तीसरे सम्राट थे और उन्हें भारतीय इतिहास के सबसे महान शासकों में से एक माना जाता है। उन्होंने इस्लामी दिल्ली सल्तनत के पतन के बाद भारत में सबसे बड़े साम्राज्य पर शासन किया। कृष्णदेवराय ने आंध्र भोज , कर्नाटकरत्न सिंहासनमहेश्वर, यवन राज्य प्रतिष्ठापनाचार्य और मुरु रायरा गंडा (शाब्दिक अर्थ “तीन राजाओं के स्वामी”) की उपाधियां अर्जित कीं। वे बीजापुर , गोलकोंडा , बहमनी सल्तनत और ओडिशा के गजपतियों के सुल्तानों को हराकर प्रायद्वीप के प्रमुख शासक बन गए और भारत के सबसे शक्तिशाली हिंदू शासकों में से एक थे।

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