इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी से जुड़ा एक मामला सर्वोच्च अदालत पहुंचा था, लेकिन कोर्ट ने उस पर सुनवाई से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि वो ईवीएम के सोर्स कोड के स्वतंत्र ऑडिट की इजाजत नहीं देंगे।
दरअसल ये याचिका जनहित बताकर दायर की गई थी। इसमें अनिवार्य रूप से ईवीएम के सोर्स कोड के स्वतंत्र ऑडिट की मांग की गई। साथ ही ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में रखने का अनुरोध किया गया।
मामले की सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला जा सकता है, क्योंकि ये ईवीएम को हैकिंग के लिए अतिसंवेदनशील बना देगा।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से सार्वजनिक डोमेन में डाली गई हर चीज सुरक्षा जांच से गुजरती है, लेकिन सोर्स कोड को सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला जा सकता। आप जानते हैं कि ये कब हैक हो जाएगा। उन्होंने ये भी कहा कि मामला नीतिगत मुद्दे से जुड़ा है, ऐसे में वो हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता सुनील अह्या से पूछा कि क्या कोई ऐसी चीज है, जो ईवीएम मशीन को संदेह के दायरे में खड़ा करती है? इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि ईवीएम के पीछे सोर्स कोड का दिमाग है और नागरिक एक ऐसी प्रणाली के माध्यम से मतदान कर रहे हैं, जिसका ऑडिट नहीं किया जाता है। उन्होंने चुनाव आयोग को इससे जुड़े 3 आवेदन दिए, लेकिन उस पर कोई कदम नहीं उठाया गया।
इस पर कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को देश में चुनाव करवाने की जिम्मेदारी दी गई है। आपने उनके सामने कोई ऐसी चीज नहीं रखी, जिससे पता चले कि चुनाव आयोग ने आपके संवैधानिक जनादेश का उल्लंघन किया है।
वहीं याचिकाकर्ता ने 2019 के आम चुनावों के वक्त भी ऐसी ही याचिका डाली थी। उस वक्त चुनाव आयोग ने इस पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि देशभर में चुनाव होने जा रहे, ऐसे में इस वक्त वो इस मामले में शामिल नहीं हो सकता हैं।