कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मोदी के नेतृत्व में केंद्र चुनावी वर्ष में चुनाव आयोग पर नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहता है।

जयराम रमेश ने भाजपा नेता एल.के. आडवाणी का एक पत्र साझा किया, जिसमें उन्‍होंने तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह से कहा कि ‘पक्षपात की किसी भी धारणा को दूर करने के लिए संवैधानिक निकायों में नियुक्तियां द्विदलीय तरीके से की जानी चाहिए।

कांग्रेस के प्रभारी महासचिव रमेश ने एक ट्वीट में कहा, ”देश में एक राय तेजी से बढ़ रही है, जो मानती है कि चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकायों में नियुक्तियां द्विदलीय आधार पर की जानी चाहिए। यह 2 जून 2012 को तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को लिखे गए आडवाणी के पत्र के दूसरे पैराग्राफ का एक अंश है। आप यह पत्र अभी भी भाजपा की वेबसाइट पर पा सकते हैं।”

सरकार की आलोचना करते हुए, “सीईसी और चुनाव आयुक्तों का चयन करने के लिए, उन्होंने जिस समिति का प्रस्ताव रखा, उसमें सीजेआई के साथ-साथ संसद के दोनों सदनों के विपक्ष के नेता शामिल थे। मोदी सरकार द्वारा लाया गया सीईसी विधेयक न केवल आडवाणी के प्रस्ताव के खिलाफ है, बल्कि यह 2 मार्च, 2023 को पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के फैसले के विपरीत है, जिसमें कहा गया था: ‘एक संवैधानिक निकाय के रूप में चुनाव आयोग के कामकाज में स्वतंत्रता के लिए  मुख्य चुनाव आयुक्तों के साथ-साथ अन्‍य चुनाव आयुक्तों को भी कार्यकारी हस्तक्षेप सेस्वतंत्र होना होगा।”

रमेश ने कहा, “अपने वर्तमान स्वरूप में, सीईसी विधेयक समिति के 2:1 प्रभुत्व से कार्यकारी हस्तक्षेप सुनिश्चित करेगा। चुनावी वर्ष में मोदी सरकार की ओर से यह विचार इस बात को और मजबूत करता है कि मोदी चुनाव आयोग पर नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहते हैं।”

गौरतलब है कि केंद्र ने गुरुवार को राज्यसभा में एक विवादास्पद विधेयक पेश किया, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रावधान है।

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल नए सीईसी विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

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