कम्युनिटी रेडियो सिर्फ मीडिया नहीं, सशक्तिकरण की प्रक्रिया है: डॉ. एल. मुरुगन
नई दिल्ली, 3 मई (हि.स.)। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने कहा कि कम्युनिटी रेडियो सिर्फ मीडिया नहीं, बल्कि यह शासन की सक्रियता के साथ ही व्यवहारिक सशक्तिकरण है। यह सम्मेलन केवल एक विचार-विमर्श मंच नहीं, बल्कि “जनता की आवाज़ों का उत्सव है। वास्तविक, प्रामाणिक और जमीनी आवाजें जो उन स्थानों से उठती हैं, जहां मुख्यधारा की मीडिया अक्सर नहीं पहुंचती। वह भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के सहयोग से मुंबई में शनिवार को आठवें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन मंत्रालय की प्रमुख पहल वर्ल्ड आडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट-2025 (वेव्स) के अंतर्गत आयोजित हुआ।
डॉ. मुरुगन ने सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सामुदायिक रेडियो की भूमिका की सराहना की और इसे हाशिए पर रह रहे समुदायों के लिए एक “जीवनरेखा” और “लोकतंत्र की सच्ची भावना” बताया। उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल संचार में वैश्विक लीडर है। देश भर में 531 से अधिक सामुदायिक रेडियो स्टेशन कार्यरत हैं।
सम्मेलन की प्रमुख विशेषता 10वें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों का वितरण भी रहा, जिसमें 12 उत्कृष्ट रेडियो स्टेशनों को सामुदायिक जुड़ाव और सामाजिक प्रभाव में उनके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
डॉ. एल. मुरुगन ने विजेताओं को बधाई दी और कहा कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य नवाचार, समावेशिता और प्रभाव के माध्यम से भारत में सामुदायिक मीडिया को मजबूत करना है। ये स्टेशन महिलाओं, आदिवासी जैसे विभिन्न समुदायों और समूहों के लिए कल्याणकारी गतिविधियों का एक नया आयाम दे रहे हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव पृथुल कुमार ने कहा कि 531 से अधिक कार्यरत स्टेशनों के साथ, कम्युनिटी रेडियो अब जमीनी संचार की जीवनरेखा बन चुका है। यह लोगों को उनकी अपनी भाषा और बोली में जोड़ता है, स्थानीय मुद्दों को संबोधित कर परिवर्तन लाता है। अब तक 176 स्टेशनों को वित्तीय सहायता दी जा चुकी है और 50 से अधिक प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने पूर्वी, दक्षिणी और उत्तरी भारत में तीन क्षेत्रीय सम्मेलनों की घोषणा की तथा सौर ऊर्जा अनुदानों के माध्यम से स्टेशनों की टिकाऊ संचालन प्रणाली को बढ़ावा देने की योजनाएं साझा कीं।
इस सम्मेलन में देश भर के 400 से अधिक सामुदायिक रेडियो (सीआर) स्टेशनों के प्रतिनिधि एक मंच पर एकत्रित हुए, ताकि संवाद और सहयोग का अवसर प्रदान किया जा सके। इस दौरान सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू और आईआईएमसी की कुलपति डॉ. अनुपमा भटनागर आदि उपस्थित थे।
इन्हें मिले पुरस्कार
विषयगत पुरस्कारः
प्रथम पुरस्कार: रेडियो मयूर, जिला सारण, बिहार, कार्यक्रम: टेक सखी के लिए, द्वितीय पुरस्कार: रेडियो कोच्चि, केरल, कार्यक्रम: निरंगल के लिए, तृतीय पुरस्कार: हैलो दून, देहरादून, उत्तराखंड, कार्यक्रम : मेरी बात के लिए।
सर्वाधिक नवीन सामुदायिक सहभागिता पुरस्कार
– प्रथम पुरस्कार: यरलावानी सांगली, महाराष्ट्र, कार्यक्रम: कहानी सुनंदाची, द्वितीय पुरस्कार: वायलागा वनोली, मदुरै, तमिलनाडु, कार्यक्रम: आइए एक नया मानदंड बनाएं के लिए, तृतीय पुरस्कार: सलाम नमस्ते नोएडा, उत्तर प्रदेश, कार्यक्रम: नौकरानी दीदी।
स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार- प्रथम पुरस्कार: रेडियो ब्रह्मपुत्र, डिब्रूगढ़, असम, कार्यक्रम: इगारेकुन के लिए, दूसरा पुरस्कार: रेडियो कोटागिरी, नीलगिरी, तमिलनाडु, कार्यक्रम: एन मक्कलुडन ओरु पायनम, तृतीय पुरस्कार: रेडियो एक्टिव, भागलपुर, बिहार, कार्यक्रम: अंग प्रदेश की अद्भुत धरोहर।
स्थिरता मॉडल पुरस्कार
• प्रथम पुरस्कार: बिशप बेंज़िगर हॉस्पिटल सोसाइटी, कोल्लम, केरल द्वारा संचालित रेडियो बेंज़िगर, द्वितीय पुरस्कार: यंग इंडिया द्वारा संचालित रेडियो नमस्कार, कोणार्क, ओडिशा, तृतीय पुरस्कार: शरणबस्बेस्वरा विद्या वर्धक संघ द्वारा संचालित रेडियो अंतरवाणी, गुलबर्गा, कर्नाटक।
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