दिल्ली हिंसाः मंत्री कपिल मिश्रा ने अपने खिलाफ जांच के आदेश को दी कोर्ट में चुनौती

नई दिल्ली, 09 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में शामिल होने के मामले में आगे की जांच करने के मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को राऊज एवेन्यू के सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है। स्पेशल जज कावेरी बावेजा इस याचिका पर सुनवाई करेंगी। मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को दिल्ली पुलिस ने भी चुनौती दी है।

राऊज एवेन्यू के एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने दिल्ली दंगों में शामिल होने के मामले में कपिल मिश्रा के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया था। इसके पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने भी कपिल मिश्रा के मामले में लापरवाही बरतने पर ज्योति नगर थाने के एसएचओ पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कहा कि कपिल मिश्रा के खिलाफ संज्ञेय आरोप हैं और इसकी जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया। इसके पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा था कि या तो जांच अधिकारी ने कपिल मिश्रा के खिलाफ कोई जांच नहीं की या उसने कपिल मिश्रा के खिलाफ आरोपों को छिपाने की कोशिश की। कोर्ट ने कहा कि कपिल मिश्रा सार्वजनिक व्यक्ति है और उसके बारे में ज्यादा जांच की जरूरत है, क्योंकि ऐसे लोग जनता के मत को सीधे-सीधे प्रभावित करते हैं। सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति को संविधान के दायरे में रहने की उम्मीद की जाती है।

कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह के बयान दिए गए हैं वे सांप्रदायिक सद्भाव पर बुरी तरह असर डालते हैं। ऐसे बयान अलोकतांत्रिक होने के साथ-साथ देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर हमला है। ऐसे बयान संविधान के मूल चरित्र का खुला उल्लंघन है। कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए सांप्रदायिक और धार्मिक सद्भाव से जुड़ा हुआ है। ये देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी से भी जुड़ा हुआ है। आरोपी को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लाभ उठाने का हक है, वैसे ही उस पर सांप्रदायिक सद्भाव को संरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी है।

हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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