बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने हाल ही में चर्चा में आकर अपनी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से अपने थेरेपी सत्रों को व्यक्तिगत रूप से ही रखती थीं, ताकि मीडिया इससे अवगत न हो सके। एक प्रमुख मैगजीन, द सीईओ के साथ बातचीत करते हुए, दीपिका ने कहा कि वह अपने करियर के चरम पर थी जब अचानक साल 2014 में उन्हें काम करते समय बेहोशी का अनुभव हुआ। इस घटना के कुछ दिन बाद, उन्होंने महसूस किया कि उन्हें डिप्रेशन है, लेकिन इस बारे में उन्होंने किसी से भी चर्चा नहीं की।

दीपिका ने बताया कि वह मुंबई में अकेली रह रही थीं, और अपने अनुभवों को साझा करने में वह हिचकिचा रही थीं। उनकी माँ जब मुंबई आईं, तब उन्हें समझ में आया कि व्यक्तिगत समस्याओं को बांटने से किस प्रकार का समर्थन मिल सकता है। दीप्ति ने कहा, “जब मेरी माँ चली गईं, तो मैं काफी उदास हो गई। मुझे ऐसा लगता था जैसे जीने की इच्छा समाप्त हो चुकी है।” उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आगे बढ़ने का फैसला किया और थेरेपी की सलाह ली।

दीपिका ने यह भी बताया कि जब वह ठीक होने लगीं, तब उन्हें एहसास हुआ कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में काफी शर्मिंदगी है। उन्होंने कहा, “मैं नहीं चाहती थी कि किसी को यह बात पता चले कि मैं थेरेपिस्ट के पास जा रही हूं। लेकिन जब मैंने इस विषय पर आवाज उठाई, तो मुझे समझ में आया कि इसे छिपाना सही नहीं है।” उनके अनुसार, यह महत्वपूर्ण है कि लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में खुलकर बात करें और जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन्हें साझा करें।

इसके फलस्वरूप, दीपिका ने अपने अनुभवों को साझा करने के साथ-साथ एक नई पहल ‘लीव लव लाफ’ फाउंडेशन की स्थापना की। इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य उन लोगों की सहायता करना है, जो मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। दीपिका ने कहा कि यह फाउंडेशन उन लोगों के लिए एक सुरक्षित स्थान बनेगा, जहाँ वे अपनी परेशानियों को साझा कर सकते हैं और उचित सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

दीपिका पादुकोण का यह सफर यह संदेश देता है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने और लोगों को एक-दूसरे का सहारा बनने की आवश्यकता है। उन्होंने अपने अनुभवों को एक सकारात्मक दिशा में मोड़ दिया है और अब वह चाहती हैं कि उनकी कहानी दूसरों को प्रेरित करे। अभिनेत्री ने यह संदेश दिया कि व्यक्तिगत संघर्षों के बारे में खुलकर बात करना न केवल खुद के लिए, बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।

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