केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और भारतीय वन्यजीव संस्थान के कार्यों की सराहना की

नई दिल्ली, 17 अप्रैल (हि.स.)। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने आज यहां जलीय जैव विविधता को बहाल करने, नदी के स्वास्थ्य में सुधार, स्थानीय क्षमताओं के निर्माण और संरक्षण में समुदायों को शामिल करने में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। वह भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा कार्यान्वित और जल शक्ति मंत्रालय द्वारा समर्थित विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

पाटिल ने बेसिन में आयोजित व्यापक आउटरीच और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के प्रभाव को स्वीकार किया और जन जागरुकता पहलों में भारतीय वन्यजीव संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डाला। इसमें विशेष रूप से गंगा प्रहरियों को शामिल करने वाली पहलों का जिक्र किया गया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्वयंसेवकों के साथ निरंतर जुड़ाव को मजबूत करने के लिए गंगा प्रहरी सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव दिया और नदियों में मगर मगरमच्छ पर केंद्रित नई संरक्षण पहलों की खोज करने की सलाह दी।

कार्यक्रम के दौरान सीआर पाटिल ने इन पहलों के तहत विकसित ज्ञान उत्पादों की एक शृंखला भी जारी की। इनमें हाइड्रोफाइट्स: ग्रीन लंग्स ऑफ गंगा वॉल्यूम I और II और मीठे पानी के मैक्रोफौना के जैविक नमूनों के संग्रह, भंडारण और परिवहन के लिए प्रोटोकॉल शामिल थे। ये प्रकाशन मंत्रालय के जैव विविधता संरक्षण प्रयासों के मजबूत वैज्ञानिक आधार और व्यावहारिक प्रासंगिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं।

समीक्षा में यह सामने आया कि एनएमसीजी के तत्वावधान में भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा एक संरचित और बहु-विषयक संरक्षण योजना शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य छह-आयामी दृष्टिकोण के माध्यम से गंगा नदी के लिए एक विज्ञान-आधारित जलीय प्रजाति संरक्षण रणनीति स्थापित करना था। मसलन-एक समर्पित संरक्षण निगरानी केंद्र बनाना, जलीय प्रजातियों की बहाली की योजना बनाना, संस्थागत क्षमता का निर्माण करना, बचाव और पुनर्वास केंद्र स्थापित करना, समुदाय-आधारित संरक्षण कार्यक्रम शुरू करना और जैव विविधता संरक्षण पर शिक्षा का प्रसार करना।

बैठक में एक महत्वपूर्ण डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म – सूचना डैशबोर्ड (www.rivres.in) का शुभारंभ किया गया, जिसे जल शक्ति मंत्रालय और भारतीय वन्यजीव संस्थान के तहत विकसित किया गया है। यह गंगा, बराक, महानदी, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी और पंबा सहित प्रमुख भारतीय नदियों में पारिस्थितिक अंतर्दृष्टि, संरक्षण केस स्टडी और भौतिक विज्ञान, जैव विविधता और सामुदायिक सहभागिता गतिविधियों पर जानकारी प्रदान करता है।

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