वेद विरुद्ध आचरण मनुष्य का सब कुछ नष्ट कर देता है : अरुण कृष्ण शास्त्री
मीरजापुर, 22 मई (हि.स.)। जमालपुर क्षेत्र के हसौली गांव के विघ्नहरण हनुमत धाम मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन की संध्या गुरुवार को भक्ति और श्रद्धा के रंग में रंगी नजर आई। कथा व्यास पंडित अरुण कृष्ण शास्त्री ने सती चरित्र एवं शिव विवाह की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
कथा के दौरान श्रोताओं को संबोधित करते हुए शास्त्रीजी ने कहा कि भगवान भाव के भूखे होते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान तक पहुंचने का मार्ग प्रेम, करुणा, दया, और परोपकार से होकर गुजरता है। अहंकार को त्यागना ही सच्चे भक्ति मार्ग की पहली शर्त है।
उन्होंने सती चरित्र की गाथा सुनाते हुए कहा कि जब माता सती ने भगवान शिव की बात को नहीं माना तो उसका दुष्परिणाम यह हुआ कि न केवल यज्ञ भंग हुआ, बल्कि सती ने भी योग अग्नि में अपना शरीर त्याग दिया। यह कथा श्रोताओं के लिए एक गहरा संदेश लेकर आई कि वेद विरुद्ध आचरण मनुष्य का सब कुछ नष्ट कर देता है।
शिव और पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने कहा कि श्रद्धा और विश्वास का मिलन ही इस विवाह का उद्देश्य है। जब तक मनुष्य के हृदय में यह दोनों भाव नहीं होंगे, तब तक वह ईश्वर को अपने भीतर महसूस नहीं कर सकता।
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