कांवड़ यात्रा को लेकर योगी सरकार के फैसले की खूब आलोचना हो रही है। विपक्ष के साथ-साथ भाजपा की कई सहयोगी दल भी योगी सरकार के फैसले के खिलाफ नजर आ रहे हैं। इन सब के बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अपनी सरकार के फैसले के साथ हम मजबूती से खड़े दिखाई दे रहे हैं। केशव प्रसाद मौर्य का यह रुख तब आया है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनकी दूरियों को लेकर जबरदस्त तरीके से चर्चाओं का दौर जारी है। कांवड़ यात्रा और नेम प्लेट को लेकर जारी विवाद को केशव प्रसाद मौर्य ने खारिज किया और कहा कि इसका विरोध वे लोग कर रहे हैं जिन्हें मुस्लिम वोट की जरूरत है।
केशव प्रसाद मौर्य ने अपने बयान में कहा कि विपक्ष को भी कांवड़ लेकर (हरिद्वार) जाना चाहिए और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए ताकि उनकी बुद्धि में जो विकृति आई है वह ठीक हो सके। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो लोग सवाल उठा रहे हैं, वे केवल मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं, करते हैं कोई अन्य उद्देश्य या विषय नहीं है। उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ लगाने के निर्देश पर केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने कहा कि यह राज्य सरकार का मामला है, राज्य सरकार अगर तत्कालीन कोई विज्ञप्ति निकालती है तो सभी को मानना होता है।
बीजेपी नेता शाइना एनसी ने कहा कि कांवरियों को यह जानने का अधिकार है कि वे कहां से सामान खरीद रहे हैं। यह अधिसूचना मुलायम सिंह यादव सरकार और मायावती सरकार द्वारा पारित की गई थी…यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं है। वहीं, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू, जयंत चौधरी की रालोद के बाद अब चिराग की पार्टी की बारी है। चिराग ने मुजफ्फरनगर में पुलिस की उस सलाह पर आपत्ति जताई है, जिसमें भोजनालयों को कांवड़ यात्रा मार्ग पर अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है।
चिराग पासवान ने कहा कि वह पुलिस की सलाह या “जाति या धर्म के नाम पर विभाजन” पैदा करने वाली किसी भी चीज़ का समर्थन नहीं करते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह सलाह का समर्थन करते हैं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष ने कहा, “नहीं, मैं नहीं करता।” खुद को मोदी का हनुमान बताने वाले पासवान ने कहा कि उनका मानना है कि समाज में दो वर्ग के लोग मौजूद हैं – अमीर और गरीब – और विभिन्न जातियों और धर्मों के व्यक्ति दोनों श्रेणियों में आते हैं।