उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि 15 जून से पहले सभी बाढ़ बचाव से जुड़े कार्यक्रम पूर्ण कर लिए जाएं ताकि संभावित प्राकृतिक आपदा से पहले तैयारी सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश फ्लड प्लेन जोनिंग के क्षेत्र में देश के अन्य राज्यों से अग्रणी है। प्रदेश में बाढ़ बचाव से जुड़ी कार्य योजना समय से पूरी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक परियोजना गुणवत्ता के साथ समय से पूरी की जाए ताकि मानसून के दौरान बाढ़ के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके। बाढ़ बचाव की दीर्घकालिक रणनीति में नदी ड्रेजिंग एवं चैनलाइजेशन ही सबसे प्रभावी समाधान है।

बाढ़ से स्थायी बचाव के लिए नदियों की ड्रेजिंग सबसे जरूरी
मुख्यमंत्री ने बताया कि बीते 8 वर्षों में उत्तर प्रदेश में 1665 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं, जिनसे करीब 40.72 लाख हेक्टेयर जमीन और 319.14 लाख लोगों को सुरक्षा मिली है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से स्थायी बचाव के लिए नदियों की ड्रेजिंग (गहराई बढ़ाने) और चैनलाइजेशन (धारा को दिशा देना) सबसे जरूरी उपाय हैं। 2018 से 2025 के बीच 60 नदियों की ड्रेजिंग हो चुकी है, जिससे 4 लाख से ज्यादा हेक्टेयर खेती लायक जमीन को फायदा पहुंचा और 23 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हुए।

लुप्त हो रही नदियों को फिर से जीवित करने के निर्देश
आदित्यनाथ ने कहा कि नदियों का पुनर्जीवन अब सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि लुप्त हो रही नदियों को फिर से जीवित किया जाए और जो नदियां प्रदूषित हो चुकी हैं, उन्हें साफ करना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने खासतौर पर काशी की वरुणा और अस्सी नदियों का जिक्र करते हुए उनके पुनर्जीवन और रिवर फ्रंट के निर्माण का निर्देश दिया।

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