आम आदमी पार्टी (आप) नेता आतिशी ने सोमवार को दिल्ली के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। हालांकि, वह एक अलग कुर्सी पर बैठीं, जिससे उनकी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सीट खाली रही। इस दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह अरविंद केजरीवाल की कुर्सी है। उन्होंने कहा कि मैंने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है और इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया है।’ मेरी भावनाएं आज भरत के जैसी ही हैं जब भगवान राम 14 वर्ष के लिए वनवास गए थे और भरत को अयोध्या का शासन संभालना पड़ा था।

हालांकि, आतिशी के इस कदम से भाजपा पर उनपर निशाना साधने का बड़ा मौका मिल गया है। भाजपा दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि संविधान – नियम एवं मुख्यमंत्री पद का अपमान है इस तरह मुख्यमंत्री की मेज़ पर दो कुर्सी रखना। उन्होंने कहा कि आतिशी यह कोई आदर्श पालन नहीं है, सीधी स्पष्ट भाषा में चमचागिरी है। अपनी इस हरकत से आतिशी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की गरिमा के साथ ही दिल्ली की जनता की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई है। अरविंद केजरीवाल जवाब दें-क्या इस तरह के रिमोट कंट्रोल से दिल्ली सरकार चलायेंगे आप ?

बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि आतिशी और अरविंद केजरीवाल लालू-राबड़ी मॉडल और मनमोहन-सोनिया मॉडल की तरह सरकार चलाना चाहते हैं। वे भ्रष्ट सरकार चलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता उनसे सवाल पूछ रही है कि एक रबर स्टांप या कठपुतली सीएम को क्यों सीएम बनाया जाता है? यह दिल्ली की जनता बनाम आप हो गया है। आतिशी और केजरीवाल दिल्ली के लोगों से इतनी नफरत करते हैं कि वे उन्हें एक अस्थायी सीएम नहीं बल्कि एक कठपुतली सीएम दे सकते हैं।

आतिशी मुख्यमंत्री कार्यालय में एक अलग कुर्सी पर बैठीं। नए मंत्रिमंडल में आतिशी के बाद सबसे अधिक आठ विभाग सौरभ भारद्वाज के पास हैं जिनमें स्वास्थ्य, पर्यटन, कला और संस्कृति शामिल हैं। मंत्रिमंडल में पहली बार शामिल हुए मुकेश अहलावत के पास श्रम, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति, रोजगार और भूमि व भवन विभाग हैं। गोपाल राय को विकास, सामान्य प्रशासन, पर्यावरण और वन विभाग दिया गया है जो उनके पास केजरीवाल सरकार में पहले भी थे। परिवहन, गृह, प्रशासनिक सुधार, महिला एवं बाल विकास विभाग कैलाश गहलोत के पास बरकरार हैं। आतिशी की अगुवाई वाले नए मंत्रिमंडल के सामने फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अगले कुछ महीनों में शुरू की जाने वाली कई परियोजनाएं, योजनाएं तथा नयी पहलों की लंबी सूची है।

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