भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को यहां कहा कि न्यायपालिका के कंधे चौड़े हैं और वह प्रशंसा के साथ ही आलोचना भी स्वीकार कर सकती है लेकिन लंबित मुकदमों या फैसलों पर वकीलों की टिप्पणी बहुत चिंताजनक है।
उन्होंने कहा कि बार के पदाधिकारियों और सदस्यों को न्यायिक निर्णयों पर प्रतिक्रिया देते वक्त यह नहीं भूलना चाहिए कि वे अदालत के अधिकारी हैं, आम आदमी नहीं।
सीजेआई नागपुर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एक संस्था के रूप में बार न्यायिक स्वतंत्रता, संवैधानिक मूल्यों और अदालत की प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए आवश्यक है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उच्चतम नयायालय की संवैधानिक पीठ के फैसले कठिन कार्यवाही, व्यापक न्यायिक विश्लेषण और संवैधानिक सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम होते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन एक बार जब फैसला सुना दिया जाता है तो यह सार्वजनिक संपत्ति है। एक संस्था के तौर पर हमारे कंधे चौड़े हैं। हम प्रशंसा और आलोचना दोनों स्वीकार करने के लिए तैयार हैं…।’’
उन्होंने कहा कि लेकिन बार एसोसिएशन के सदस्य और पदाधिकारी होने के नाते वकीलों को अदालत के निर्णयों पर प्रतिक्रिया देते समय आम आदमी की तरह टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।