इसरो का अगला मिशन ‘आदित्य एल1’ अंतरिक्ष से सूर्य और उसके विकिरण का अवलोकन करेगा। यह सूर्य के लिए पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नजर चंद्रमा के बाद अब सौरमंडल के सबसे गर्म और सबसे बड़े सदस्य सूर्य की सबसे चुनौतीपूर्ण सतह की पर उतरने पर है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की नजर चंद्रमा के बाद अब सौरमंडल के सबसे गर्म और सबसे बड़े सदस्य सूर्य की सबसे चुनौतीपूर्ण सतह की पर उतरने पर है। अंतरिक्ष एजेंसी सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 सौर अन्वेषण मिशन के प्रक्षेपण की तैयारी कर रही है।
आदित्य-एल1 मिशन को इसरो पीएसएलवी रॉकेट द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर (एसडीएससी एसएचएआर), श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जायेगा। इसके बाद कक्षा को और अधिक अण्डाकार बनाया जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को ऑन-बोर्ड प्रणोदन का उपयोग करके लैग्रेंज बिंदु एल-1की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा।
एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण/ग्रहण के सूर्य को लगातार देखने का प्रमुख लाभ होता है। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा। जैसे ही अंतरिक्ष यान एल 1 की ओर यात्रा करेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (एसओआई) से बाहर निकल जाएगा। एसओआई से बाहर निकलने के बाद, क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। लॉन्च किये जाने के बाद से एल1 तक की कुल यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने लगेंगे।
बता दें कि इसरो ने पिछले महीने 14 जुलाई को अपना चंद्रयान -3 मिशन लॉन्च किया था, जिसका लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिण की ओर अपने रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग करना था। अंतरिक्ष यान अब तक चंद्रमा की कक्षा तक पहुंच चुका है और 20 अगस्त के आसपास उतरने के लिए लैंडर लॉन्च करने की उम्मीद है और 23 अगस्त को यह जमीन को छूएगा।