चंद्रयान-3 का मुख्य यान अभी तक चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा था। इस बीच गुरुवार को उसने एक और मुश्किल पड़ाव पार कर लिया, जहां उसके प्रोपल्शन मॉड्यूल से विक्रम लैंडर अलग हो गया। इसके साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उसके उतरने की प्रक्रिया शुरू हो गई।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक लैंडर को चांद पर उतरने के लिए करीब 100 किलोमीटर की यात्रा करनी है। ये लैंडर खुद ही तय करेगा। उसमें जो थ्रस्टर्स (इंजन) लगे हैं, उसका इस्तेमाल कर वो अपनी गति धीमी करेगा।

वहीं मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर अब गोलाकार ऑर्बिट में नहीं घूमेगा। वो दो बार डीऑर्बिटिंग करेगा, इसके बाद 30 किमी x 100 किमी की अंडाकार कक्षा में अलग से चक्कर लगाएगा। इसके जरिए वो अपनी गति को धीमी करते हुए ऊंचाई को कम करेगा। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उसके इंजन को उल्टी दिशा में घुमाया जाएगा।

कब होगी डीऑर्बिटिंग?
ISRO के मुताबिक 18 और 20 अगस्त को डीऑर्बिटिंग की प्रक्रिया होगी, जिसके तहत लैंडर अपनी कक्षा बदलेगा। इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद लैंडिंग की तैयारी शुरू कर दी जाएगी।

कब होगी लैंडिंग?
चंद्रयान-3 की लैंडिंग में अब एक हफ्ते से कम का वक्त बचा है। इसरो के मुताबिक अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो 23 अगस्त को विक्रम लैंडर सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा।

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प्लानिंग में थोड़ा बदलाव
इसरो के मुताबिक पहले चंद्रयान-3 को 100 या 150 किलोमीटर की गोलाकार ऑर्बिट में डालने की प्लानिंग थी, लेकिन अब इस योजना में बदलाव कर दिया गया है। लैंडर अंडाकार ऑर्बिट में घूमेगा, लेकिन उससे मिशन पर किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

Chandrayaan-3 Mission:

‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).

LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)

LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.

Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct

— ISRO (@isro) August 17, 2023

सबसे कठिन पड़ाव अभी बाकी
चंद्रयान-2 की तरह चंद्रयान-3 में भी सबसे कठिन पड़ाव सॉफ्ट लैंडिंग है। पिछला मिशन इसी स्टेज में फेल हुआ था। हालांकि इस बार यान में कई बदलाव किए गए हैं, ताकि वो रास्ता ना भटके। इसके अलावा कोई गड़बड़ी आए तो भी वो लैंड कर सके।

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