पश्चिमी बंगाल में बैठकर चौ.चरण सिंह विश्वविद्यालय के नाम पर ऑनलाइन फर्जी मार्कशीट बेचने का मामला पकड़ में आया है। विश्वविद्यालय के डोमेन नेम जैसे ही डोमेन नेम से छात्रों को फंसाकर फर्जी मार्कशीट बेचकर ठगा जा रहा है। लखनऊ से संजय कुमार के एक शख्स ने विश्वविद्यालय को ईमेल पर सीसीएसयू के नाम जारी फर्जी डोमेन नेम और वेबसाइट की सूचना दी है। इसमें आरोपियों के नाम और मोबाइल नंबर भी साझा किए गए। विश्वविद्यालय ने गंभीरता देखते हुए थाना मेडिकल में तहरीर देते हुए साइबर क्राइम में मामला दर्ज कराया है। उक्त फर्जीवाड़े के आरोपी पहले भी गुजरात सहित विभिन्न राज्यों में फर्जी मार्कशीट के खेल में पकड़े जा चुके हैं।
थाने में भेजी तहरीर के अनुसार विश्वविद्यालय के नाम पर फर्जी मार्कशीट बेचने के लिए ठगों ने सोशल मीडिया को हथियार बनाया। इन ठगों ने फेसबुक और वाट्सएप पर विभिन्न ग्रुप बना रखे हैं। इन ग्रुप पर ही सीसीएसयू की मार्कशीट को प्रमोट किया जा रहा है। जिस डोमेन नेम से छात्रों को ठगा जा रहा है वह http://ccsuresults.com/[1]. है। रिपोर्ट के अनुसार फर्जी डोमेन नेम का आईपी एड्रेस 135.181.47.25 है जो हॉट्जनर ऑनलाइन जीएमबीएच से लिया गया है। ठगों ने विश्वविद्यालय के सही यूआरएल में अपने फर्जी यूआरएल को जोड़ पूरा खेल किया है। सूचना में इन यूआरएल से तैयार और सत्यापित मार्कशीट भी भेजी गई है। आरेाप है कि ये ठग विश्वविद्यालय के यूआरएल का प्रयोग करते हुए फर्जी मार्कशीट को ऑनलाइन सत्यापित भी कर रहे हैं।
हाल में विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया में मेरिट से पहले ही एक लाख से अधिक विद्यार्थियों का डाटा एक्सेल सीट में वायरल हुआ था। प्रवेश का काम देख रही कंपनी ने अपनी जांच रिपोर्ट में विश्वविद्यालय की वेबसाइट से यह डाटा लीक होने का दावा किया था। कंपनी ने विश्वविद्यालय वेबसाइट की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए थे। विश्वविद्यालय में वर्षों पूर्व रिजल्ट से जुड़ी एक निजी कंपनी डाटा लेकर भी भाग चुकी है। आशंका है कि यह डाटा साइबर अपराधियों तक पहुंच गए हैं।
यह रखें ध्यान:
विश्वविद्यालय के अनुसार छात्र आधिकारिक वेबसाइट https://www.ccsuniversity.ac.in से ही सूचना प्राप्त करें। रिजल्ट और अन्य जो भी कार्य किए जाएं वे सभी इस वेबसाइट पर दर्ज लिंक से करें। विश्वविद्यालय मार्कशीट का ऑनलाइन का सत्यापन नहीं करता है। विश्वविद्यालय का ना तो कोई स्टडी सेंटर है और ना ही दूसरे राज्यों में कोई शाखा। विश्वविद्यालय के अनुसार छात्र प्रवेश या मार्कशीट से पहले उक्त वेबसाइट पर दर्ज नंबरों से संपर्क करें। विश्वविद्यालय के फर्जी यूआरएल में https में से S नहीं है।