चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और RJD सुप्रीमो लालू यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीबीआई ने लालू यादव की जमानत याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है। अब लालू यादव ने CBI की याचिका का विरोध किया है।
लालू यादव ने कहा है कि सीबीआई हाई कोर्ट के आदेश को सिर्फ इस आधार पर चुनौती नहीं दे सकती कि वो इससे असंतुष्ट हैं। लालू यादव ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए दलील दी है कि हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है। उनका कहना है कि ये सामान्य सिद्धांतों और समान नियमों पर आधारित है।
सीबीआई ने चारा घोटाले से संबंधित डोरंडा कोषागार मामले में लालू यादव को दी गई जमानत रद्द करने की मांग की है। पिछले साल 22 अप्रैल को झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में लालू यादव को जमानत दे दी थी। 75 वर्षीय नेता लालू यादव को डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये से अधिक के गबन के मामले में रांची की एक विशेष सीबीआई अदालत ने पांच साल जेल की सजा सुनाई और 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में लालू यादव ने कहा कि उनकी सजा को निलंबित करने के झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को सिर्फ इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि सीबीआई असंतुष्ट है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ चारा घोटाले से संबंधित डोरंडा कोषागार मामले में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा लालू यादव को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग वाली सीबीआई की याचिका पर 25 अगस्त को सुनवाई करेगी।
अपने जवाब में लालू यादव ने खराब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें हिरासत में रखने से कोई मकसद पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह सामान्य सिद्धांतों और समान नियमों पर आधारित है।
15 फरवरी 2022 को रांची की सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया था। 21 फरवरी को उन्हें पांच साल की कैद और 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। लालू यादव घोटाला के वक्त बिहार के मुख्यमंत्री थे और उनके पास अविभाजित बिहार का वित्त विभाग भी था।
लालू यादव को इससे पहले झारखंड में दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से संबंधित चार अन्य मामलों में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।