अभियुक्तों की संख्या के लिहाज से संयुक्त बिहार के चारा घोटाले के सबसे बड़े मुकदमे में सीबीआई की रांची स्थित स्पेशल कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुना दिया है। 125 अभियुक्तों में से 35 को बरी और 90 को दोषी करार दिया गया। उन्हें अलग-अलग सजाएं सुनाई गई हैं।
52 को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है। जिन अभियुक्तों को तीन साल की सजा सुनाई गई है, उनमें रांची के भाजपा के पूर्व विधायक गुलशन लाल अजमानी भी शामिल हैं। चारा घोटाले के पांच बड़े मामलों में से यह इकलौता मामला है, जिसमें बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव अभियुक्त नहीं थे।
यह मामला रांची के डोरंडा स्थित कोषागार से 36.59 करोड़ की अवैध निकासी का है। 1990-91 और 1994-95 की अवधि में फर्जी अलॉटमेंट लेटर के आधार पर सरकारी खजाने से अवैध निकासी हुई थी। इस मामले में वर्ष 1996 में केस संख्या आरसी 48 ए/96 के तहत सुनवाई चल रही थी। जिन चर्चित अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई है, उनमें डॉ. केएम प्रसाद, गौरीशंकर प्रसाद, सुनील कुमार सिन्हा, अजय कुमार सिंह , जगदीश प्रसाद, नंद किशोर सिंह, राजीव कुमार , नरेश प्रसाद, रविंद्र प्रसाद, रविंद्र कुमार मेहरा, अजय वर्मा, डॉ. हीरालाल, डॉ. बिनोद कुमार, रामा शकर सिंह, अरुण कुमार वर्मा, शरद कुमार, अशोक कुमार यादव, राम नंदन सिंह, अजय कुमार सिंह, राजेंद्र कुमार सिंह सुरेश दुबे, मदन कुमार पाठक सहित अन्य शामिल हैं।
दोषी करार दिए जानेे वालों में सबसे उम्रदराज तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. गौरी शंकर प्रसाद भी हैं, जिनकी उम्र 90 वर्ष हो रही है।
जिन अभियुक्तों को बरी किया गया है, उनमें एनुल हक, राजेंद्र पांडेय, राम सेवक साहू, दीनानाथ सहाय, साकेत, हरीश खन्ना, कैलाश मनी कश्यप, बलदेव साहू, सिद्धार्थ कुमार, निर्मला प्रसाद, अनिता कुमारी, एकराम, मो हुसैन, सनाउल हक, सैरु निशा, चंचला सिन्हा, ज्योति कक्कड़, सरस्वती देवी, रामावतार सिन्हा, रीमा बड़ाईक और मधु पाठक शामिल हैं।
लगभग 26 साल पुराने इस केस के 124 आरोपितों में से 62 का निधन ट्रायल के दौरान हो चुका है। आरोपितों में पशुपालन विभाग के कई बड़े अफसर, आठ कोषागार पदाधिकारी, 29 पशु चिकित्सक, रांची के पूर्व विधायक गुलशन लाल अजमानी, एक वक्त में लालू प्रसाद के करीबी माने जाने वाले बिहार प्रदेश 20 सूत्रीय कमेटी के तत्कालीन उपाध्यक्ष दयानंद प्रसाद कश्यप शामिल थे। आरोपियों में 9 महिलाएं भी थीं।
बता दें कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने 24 जुलाई को सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक रविशंकर ने सुनवाई के दौरान 617 गवाहों को प्रस्तुत किया।