लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने देश भर में नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया। अब इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो चुकी है। इसी बीच राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी प्रतिक्रिया दी है और सरकार के इस फैसले को जनविरोधी करार दिया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा, “नागरिकता संसोधन विधेयक कानून लागू करना केंद्र सरकार का जन विरोधी निर्णय है, जो आदिवासी, दलित, पिछड़ा, गरीब, अल्पसंख्यक विरोधी भी है। सैकड़ो वर्षो से जंगलो में रहने वाले आदिवासियों तथा घूमन्तु जनजातियों, ग्राम समाज की जमीन पर बसे दलितों, पिछड़ो, गरीबों, वंचितों, अल्पसंख्यको के पास आज भी राजस्व अभिलेख उपलब्ध नहीं है, इस कानून के माध्यम से ऐसे करोड़ों लोगों को प्रताड़ित करने व कब्जे से बेदखल कर नागरिकता से वंचित करने का घिनौना साजिश है। इस जन विरोधी कानून की मैं घोर निंदा करता हूं।”
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, “जब देश के नागरिक रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता कानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये। चाहे कुछ हो जाए कल ‘इलेक्टोरल बांड’ का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फंड’ का भी।”