चुनाव चिन्ह मिलने के बाद अन्ना ने तेज किया प्रचार

-जनहित के मुद्दों और जन समस्याओं पर किया फोकस


खतौली। निर्दलीय चुनाव लड़ने के महारथी प्रमोद आर्य उर्फ अन्ना का टेलीफोन विधानसभा क्षेत्र में समीकरण बिगाड़ने के लिए घंटी बजाएगा। सोमवार को चुनाव चिन्ह मिलने के बाद अन्ना ने गांवों की पगडंडी से लेकर शहर के चबुतरों तक प्रचार की कमान थाम ली है। वह लोगों को स्थानीय प्रत्याशी को चुनने की अपील कर रहे है। वहीं, जनहित के मुददों और जन समस्याओं पर फोकस किया है। इसको लेकर युवा मतदाता भी उनकी तरफ रूझान कर रहे हैं। जनसभा के बाद उनकी ताकत को देखकर पार्टीधारी प्रत्याशियों के पसीने छूट गए हैं।
सोमवार को प्रमोद कुमार आर्य उर्फ अन्ना ने क्षेत्र के कई गांवों में दौरा किया। कहा कि वह जनहित के मुददों को लेकर चुनाव में आए है। खतौली के लोेग लंबे अरसे से अपनी समस्याओं को लेकर जूझ रहे हैं, उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। बाहरी प्रत्याशियों के हवाले खतौली की जनता को छोड़ दिया जाता है। यह लोग जीतने के बाद यहां कभी लौटकर नहीं आते हैं। जिस कारण क्षेत्र उपेक्षा का शिकार रहता है। रविवार को अन्ना ने पमनावली क्षेत्र में जनसभा की थी, जिसमें 36 बिरादरी के लोगों ने उन्हें अपना प्रत्याशी चुन लिया। किसान, युवाओं और ग्रामीणों की एक ही पुकार है, अन्ना को जिताकर विधानसभा भेजना है। इसके लिए प्रत्येक घर से एक वोट देने की अपील की गई। उधर, सोमवार को निर्दलीय प्रत्याशी प्रमोद अन्ना को टेलीफोन का चुनाव चिन्ह मिला है। यह टेलीफोन विधानसभा क्षेत्र में समीकरणों को बिगाड़ने की घंटी बजाएगा। अन्ना जाट, मुस्लिम और दलित फैक्टर को साधने में लगे है। उन्हें पिछड़ी जातियों के लोग भी पसंद कर रहे है। जिसका असर उनके प्रचार में दिख रहा है।

ग्रामीण उन्हें अपने चारपाई पर बैठाकर पुरस्कृत कर रहे हैं। उनके साथ लोगों की सहानुभूति भी जुड़ रही है। वह प्रधान पद से लेकर गन्ना समिति का चुनाव लड़ चुके है। वर्तमान में बसपा के समर्थन से जिला पंचायत सदस्य है। इसका भरपूर लाभ उन्हें मिलता दिखाई दे रहा है। किसानों के बीच गन्ना मूल्य के साथ उनकी मूलभूत सुविधाओं का जिक्र कर रहे हैं। ऐसे में वह पार्टीधारियों का समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

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