खतौली। 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगो के बाद जनपद के साथ साथ पूरे पश्चिम यूपी मे हुए बवाल के बीच हुई कार्यवाही में दर्ज हुए मुकदमो में कई बड़े नेता भी लपेटे में आये थे इसी तरह के एक मुकदमें के फैसले ने खतौली से दो बार विधायक चुने गए विक्रम सैनी की सियासत को शून्य पर पहुंचा दिया। ग्राम प्रधान बनने के बाद दंगो में चर्चा में आये और रासुका के साथ जेल गए विक्रम सैनी का राजनितिक सितारा चमक उठा और बंपर वोटो के साथ जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने बाद एकाएक विधानसभा का टिकट मिलने पर विक्रम सैनी ने 2017 में खतौली विधानसभा से जीत हासिल की और 2022 में एक बार फिर चुनाव जीत कर विधायक बने लेकिन दूसरे कार्यकाल में सात माह के कार्यकाल में ही उनके चमकते राजनितिक सितारे पर एक अदालती फैसले ने ग्रहण लगा दिया और 11 अक्टूबर 2022 को 2 साल की सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी चली गई। गत 10 साल के दौरान विक्रम सैनी का सियासी सितारा जितना आसमान चढ़ा था सजा पाते ही उतना ही धड़ाम से गिरा। अंततः 7 नवंबर को विधानसभा सचिवालय के खतौली सीट को रिक्त घोषित किये जाने के फैसले ने विक्रम सैनी की सियासत को कई वर्ष के लिए पीछे धकेल दिया। चुनाव आयोग ने भी देरी न करते हुए उप चुनाव की घोषणा करते हुए 5 दिसंबर की तिथि तय करते हुए चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया।

खतौली सीट पर 5 दिसंबर को होगा उपचुनाव
मुजफ्फरनगर। दंगे के मुकदमे में विभिन्न धाराओं में 2 साल की सजा और 10 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किये गए विक्रम सैनी की विधायकी भी जाती रही। सोमवार को विधानसभा सचिवालय से जारी अधिसूचना के अनुसार विक्रम सेनी की सदस्यता रद्द करते हुए खतौली सीट को भी रिक्त घोषित कर दिया गया। विधानसभा सीट रिक्त घोषित किये जाने के बाद चुनाव आयोग ने भी उप चुनाव की घोषणा करते हुए ५ दिसंबर को उप चुनाव की तारीख तय करते हुए कार्यक्रम जारी कर दिया है। चुनाव आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार खतौली में 5 दिसंबर को मतदान होगा और 8 दिसंबर को मतों की गिनती की जाएगी। 10 दिसंबर से पहले चुनाव प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी। चुनाव आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के मुताबिक 10 नवंबर को अधिसूचना जारी की जाएगी ओर 17 तक नामांकन होंगे। 18 को नामांकन की जांच और 21 तक वापसी होगी।

दो मुकदमो में हुए बरी,एक में हुई सजा
खतौली से दो बार विधायकी जीतने वाले विक्रम सैनी पर दंगे के दौरान और पहले 5 मुकदमे दर्ज हुए। जिनमें से एक में उन्हें 2 वर्ष की सजा हुई। जबकि दो मुकदमों में वह बरी भी हो चुके हैं। विक्रम सैनी पर विचाराधीन मुकदमों में एक मामला हेट स्पीच का भी है। 11 अक्टूबर को उन्हें एमपी-एमएलए कोर्ट ने 2 वर्ष की सजा सुनाई। जबकि 12 अक्टूबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रेक कोर्ट ने एक मुकदमे में उन्हें साक्ष्य के अभाव में बरी भी कर दिया। इससे पहले भी विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने विक्रम सैनी अगस्त 2021 में मारपीट के एक मुकदमे में बरी कर दिया था। हांलाकि उक्त मामले में कोर्ट के बाहर दोनों पक्ष में समझौता हुआ था।

2013 दंगे के बाद चमका सियासती सितारा
अदालत के फैसले के बाद खतौली की विधायकी गंवाने वाले विक्रम सैनी का विवादों से पुराना नाता रहा है। उन्हें विवादित बयानो के लिए भी जाना जाता है। उनकी सियासत ने 2013 दंगे के दौरान ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था। हांलाकि दंगे से पहले भी उनकी पत्नी गांव कवाल की प्रधान रह चुकी थी। 2013 में कवाल में हुए तीहरे हत्याकांड के बाद हुए बवाल के बाद 29 अगस्त 2013 को विक्रम सैनी की गिरफ्तारी हुई। उन पर दंगे से पहले और दंगे के दौरान 5 मुकदमे दर्ज किये गए। जेल में रहते ही उन पर रासुका भी लगी और एक वर्ष तक उन्हें हमीरपुर जेल में ही रहना पड़ा। जेल से आने के बाद विक्रम सेनी ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीता। विक्रम सैनी का देशी अंदाज और अक्खड़ बयानबाजी के बाद मिली शोहरत उन्हें विधायकी का टिकट दिलाने में कामयाब रही और मिली जीत के बाद उनकी व्यक्तिगत सियासत का शानदार आगाज माना जा सकता है। विक्रम सैनी पर हेट स्पीच का एक मुकदमा अब भी विचाराधीन है। लेकिन उसके अलावा भी वह अपने बयानों से अक्सर चर्चा में रहते हैं। कई मौके तो ऐसे आए कि भाजपा नेता भी उनके बयानों से असहज महसूस होते दिखे। एक बार तो उन्होंने बयान दिया था कि यदि सरकार चाहे तो उनसे इस्तीफा ले ले, लेकिन वह आश्रम खोलकर युवओं को पत्थरबाजी की ट्रैनिंग देंगे। दिल्ली हिंसा के आरोपियों पर होने वाली कार्रवाई पर भी उन्होंने विवादित बयान दिया था।

2017 और 2022 में जीती खतौली विधायकी
दंगों के बाद 2017 विधानसभा चुनाव ने कवाल के रहने वाले विक्रम सैनी की सियासी किस्मत खोल दी थी। भाजपा ने 2017 विधानसभा चुनाव में विक्रम सैनी को खतौली से अपना उम्मीदवार बनाया। दंगों के दौरान एक वर्ष से अधिक तक रासुका में निरु( रहने का उन्हें सियासी लाभ मिला और वह भारी मतों से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। विधायक रहते 5 वर्ष के दौरान उनकी सियासी गाड़ी बेलगाम दौड़ी। इस दौरान उनके दिये गए कई बयान विवादों में आए, लेकिन उससे उनकी सियासी रफ्तार धीमी नहीं पड़ी। अंततरू 2022 में भी भाजपा ने विक्रम सेनी को ही खतौली से उपयुक्त प्रत्याशी माना और सीट पर फिर से रिपीट किया। जनता ने भी उन्हें पलकों पर बैठाया और उनकी झौली में जीत फिर से डाल दी।

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