जयपुर। राजस्थान में ‘बैलेंस ऑफ़ पावर’ बनने के मकसद के साथ बहुजन समाज पार्टी एक्टिव मोड पर है। इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि चुनावी वर्ष में पार्टी की गतिविधियां अब ग्राउंड पर नज़र आने लगी हैं। फिलहाल दो बड़े अभियानों के साथ बसपा शहरों के साथ गाँवों में भी अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कवायद में नज़र आ रही है।

राजस्थान बसपा इन दिनों यूथ वोट बैंक को भी टारगेट करके चल रही है। यही वजह है कि हालिया शुरू हुए ‘एक बूथ, 10 यूथ’ अभियान के तहत बूथ स्तर पर युवा नेतृत्व तैयार किए जाने के प्रयास जारी हैं। हर बूथ पर 10 युवाओं का नेतृत्व तैयार करने के लिए प्रदेश नेतृत्व ने विधानसभा वार नियुक्त पदाधिकारियों को बाकायदा इस बारे में निर्देश दिए हैं। इस कार्य योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक महीने की डेडलाइन भी दी गई है।

बसपा नेतृत्व का फोकस शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी आपकी पकड़ मजबूत बनाने पर है। इसी मंशा से ‘गांव चलो’ अभियान भी ज़ोर पकड़े हुए है। प्रदेश पदाधिकारियों को प्रत्येक बूथ पर जाकर 5 सदस्यों की कमेटी बनाने और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बसपा की रीति नीति समझाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।

बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी सभी 200 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का मन बना चुकी है। लेकिन प्रदेश की सत्ता में ‘बैलेंस ऑफ़ पावर’ बनने के लिए फिलहाल फोकस 60 सीटों पर है। इसके लिए सभी प्रदेश पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने ‘पत्रिका’ से बातचीत में बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से पार्टी की कई बूथ समितियां निष्क्रिय हो थीं, जिन्हें अब नए सिरे से बनाने पर फोकस किया जा रहा है। इन बूथ समितियों का गठन कर इनमें अध्यक्ष और सचिव पद पर तैनाती दी जायेगी।

प्रदेशाध्यक्ष भगवान् सिंह बाबा ने बताया कि बिना बूथ समितियों के विधानसभा सीट जीतना मुश्किल है। यही वजह है कि फिलहाल प्रदेश भर की चुनिंदा 60 विधानसभा सीटों पर बूथ समितियों का प्राथमिकता से गठन किये जाने पर फोकस है। प्रदेश और जिला पदाधिकारियों को विधानसभाएं बांटकर बूथ समितियां बनाने के निर्देश दिए गए हैं। पार्टी का मानना है कि बूथ समितियों के गठन और उनकी मजबूती से सक्रियता से ही विधानसभा सीट जीती जा सकती है। कोशिश है कि अगले एक महीने तक ज़्यादा से ज़्यादा बूथ समितियों का गठन कर लिया जाएगा।

बसपा बसपा ने वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में विधायकों के दल-बदल कर कांग्रेस में शामिल होने के बाद विधानसभा में पार्टी सदस्यों की संख्या शून्य हो गई। पार्टी ने इसके लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ी, लेकिन असफल रही। ऐसे में बसपा एक बार फिर नए सिरे से और नई रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है।

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