आगामी लोकसभा चुनाव का असर सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। सभी छोटी पार्टिया बड़ी मजबूत पार्टियों के साथ मिलकर अपनी नैया पार लगाना चाहती हैं। इसी क्रम में रालोद किस नाव पर सवार होना है इसको लेकर अभी असंमजस में दिखाई दे रही है। वहीं, इस सियासी हलचल पर सपा नेता शिवपाल यादव का बयान सामने आया है।
शिवपाल ने कहा, “मैं जयंत को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। वे धर्मनिरपेक्ष लोग हैं। बीजेपी केवल मीडिया का इस्तेमाल कर गुमराह कर रही है। वे (आरएलडी) इंडी गठबंधन में बने रहेंगे और बीजेपी को हराने का काम करेंगे।” इससे पहले सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा था, ”रालोद के साथ हमारा सात सीटों पर समझौता हो चुका है, उन्होंने भी इस पर सहमति जताई है। राज्यसभा में भी सपा ने जयंत चौधरी को भेजा है। विपक्षी गठबंधन आईएनडीआइए की बैठकों में भी जयंत शामिल होते रहे हैं। ऐसे में सपा के साथ नाराजगी का तो कोई प्रश्न नहीं उठता है।”
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हैट्रिक रोकने की तैयारी में जुटे INDIA गठबंधन को एक और बड़ा झटका लग सकता है। कारण, जयंत चौधरी बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने यूपी में आरएलडी को 4 लोकसभा सीटों का ऑफर दिया है। इसके बाद चर्चाएं तेज हैं कि आरएलडी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन टूट सकता है। ऐसे में सियायी गलियारों में चर्चा तेज है कि जयंत चौधरी बीजेपी के साथ जा सकते हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के साथ गठबंधन की संभावित बातचीत को लेकर जयंत चौधरी ने मंगलवार को दिल्ली में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता से मुलाकात की। बीजेपी ने आरएलडी को जो 4 सीटें ऑफर की हैं, उनमें कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा शामिल हैं। गौरतलब है कि जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की लखनऊ में हुई मुलाकात के बाद सात सीटों पर सहमति बन गई थी। राष्ट्रीय लोकदल को सपा ने भले ही सात सीटें दी हैं, लेकिन वहां भी कई सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, रालोद, कैराना और बिजनौर पर तो राजी है, लेकिन मुजफ्फरनगर पर पेंच फंस गया। रालोद ने ऐसी स्थिति में अपने हिस्से की सीटें बढ़ाने की बात रखी है।
मुजफ्फरनगर में प्रत्याशी को लेकर सपा और आरएलडी में खींचतान मची है। समाजवादी पार्टी चाहती है की हरेंद्र मलिक को वहां से चुनाव लड़ाया जाए। बेशक सपा के हरेंद्र मलिक आरएलडी के टिकट पर लड़ जाएं लेकिन उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाए। जबकि, आरएलडी के कई स्थानीय नेता इसके विरोध में है और नहीं चाहते की हरेंद्र मलिक को मुजफ्फरनगर की सीट दी जाए।