प्रदेश में उठ रहे सियासी लहरों से अनुमान लगाया जाए तो राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी का भाजपा में शामिल होने लगभग तय माना जा रहा है। आरएलडी 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। ये दो सीटें बागपत और बिजनौर होंगी। इसके अलावा, जयंत चौधरी की पार्टी RLD को एक राज्यसभा सीट भी दी जाएगी। दोनों दलों के बीच गठबंधन का ऐलान दो से तीन दिन में हो जाएगा।
आपको बता दें कि पश्चिमी यूपी में जाट, किसान और मुस्लिम की जनसंख्या सबसे अधिक है। यहां लोकसभा की कुल 27 सीटें हैं और 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि 8 सीटों पर विपक्षी गठबंधन ने कब्जा किया था। इनमें 4 सपा और 4 बसपा के खाते में आई थी, लेकिन, RLDको किसी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई थी। यहां तक कि जयंत को पश्चिमी यूपी में जाट समाज का भी साथ नहीं मिला था। यही नहीं, 2014 के चुनाव में भी जयंत को निराशा हाथ लगी थी और एक भी सीट नहीं मिली थी।
गौरतलब है कि 2019 के आम चुनाव में जयंत चौधरी की पार्टी RLD ने सपा-बसपा के साथ गठबंधन में तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीनों सीटों पर दूसरे नंबर पर आई थी। इतना ही नहीं चौधरी ने अपने पुश्तैनी क्षेत्र बागपत से चुनाव लड़े थे, लेकिन डॉ. सतपाल मलिक से 23 हजार वोटों से हार गए थे। मथुरा से आरएलडी के कुंवर नरेंद्र सिंह को हेमा मालिनी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
इसी तरह जाटों के लिए बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली मुजफ्फरनगर सीट से अजित सिंह पहली बार चुनाव लड़े थे और बीजेपी के संजीव बालियान से 6500 से ज्यादा वोटों से हार गए थे। अजित और जयंत चौधरी को सपा-बसपा के अलावा कांग्रेस का भी समर्थन मिला था। यह लगातार दूसरा आम चुनाव था, जब चौधरी परिवार को खाली हाथ रहना पड़ा था।