दिल्ली के पूर्व परिवहन मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत ने आज सुबह भारतीय जनता पार्टी (BJP) का हाथ थाम लिया। गहलोत का यह कदम दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, खासकर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर।

बीजेपी में शामिल होने के बाद कैलाश गहलोत ने कहा, “यह मेरे लिए आसान कदम नहीं था। मैं एंटी-करप्शन आंदोलन से जुड़ा हुआ था, जिसे अन्ना हजारे के नेतृत्व में शुरू किया गया था, और तब से ही आम आदमी पार्टी का हिस्सा रहा हूं। मैंने दिल्ली की सेवा की है, चाहे वो विधायक के रूप में हो या मंत्री के रूप में।”

गहलोत ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके इस फैसले को कुछ लोग अचानक या दबाव में लिया गया कदम मान सकते हैं, लेकिन उन्होंने इस विचार को सिरे से नकारा। उन्होंने कहा, “मैं जो भी निर्णय लेता हूं, वह दबाव में नहीं होता। यह जो भी कहानी फैलाई जा रही है कि मैंने सीबीआई और ईडी के दबाव में यह कदम उठाया, वह सही नहीं है। 2015 से लेकर अब तक मैंने कभी भी किसी दबाव में आकर कोई फैसला नहीं लिया।”

कैलाश गहलोत का यह कदम दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया है, जो अगले कुछ महीनों में होने की संभावना है। यह चुनाव आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच एक कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। इस समय गहलोत का बीजेपी में शामिल होना विशेष महत्व रखता है, क्योंकि वह अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी माने जाते थे, खासकर तब जब केजरीवाल दिल्ली के तिहाड़ जेल में थे और शराब नीति घोटाले में उनका नाम आया था।

कुछ लोग यह मान रहे हैं कि गहलोत का बीजेपी में शामिल होना सीबीआई और ईडी की जांच के दबाव के कारण हुआ है। लेकिन गहलोत ने इस तरह की किसी भी अटकल को पूरी तरह से नकारा किया है। उनका कहना था कि उन्होंने कभी भी किसी प्रकार के राजनीतिक या अन्य दबाव के चलते कोई निर्णय नहीं लिया है।

गहलोत का यह निर्णय एक ऐसे समय में आया है, जब बीजेपी के नेता अनिल झा ने आम आदमी पार्टी जॉइन की है। अनिल झा, जो पहले बीजेपी के दो बार के विधायक रह चुके हैं, ने आज AAP का दामन थामा। यह भी दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर है और इससे आगामी चुनावों में नए समीकरण बन सकते हैं।

कैलाश गहलोत को अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी के रूप में जाना जाता था। वह पार्टी के महत्वपूर्ण फैसलों में हमेशा शामिल रहते थे। जब केजरीवाल तिहाड़ जेल गए थे, तब गहलोत का नाम उनकी टीम के प्रमुख सदस्य के रूप में सामने आया था। यहां तक कि जब केजरीवाल ने इस्तीफा दिया था, तो गहलोत को पार्टी अध्यक्ष पद के लिए एक संभावित उम्मीदवार माना जा रहा था।

कैलाश गहलोत का बीजेपी में शामिल होना दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर नई राजनीतिक दिशा तय कर सकता है। हालांकि, गहलोत के इस फैसले को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका यह निर्णय किसी दबाव के कारण नहीं, बल्कि अपनी सोच और राजनीतिक विचारधारा के अनुसार लिया गया है।

 

 

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