बीच कबड्डी को इंडोर कबड्डी से ज्यादा कठिन बनाती हैं खेल की परिस्थितियां और फार्मेंट

दीव, 20 मई (हि.स.)। बीच कबड्डी ने खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025 में एक स्थायी छाप छोड़ने की ओर अहम कदम बढ़ाया है। भारत में मैट पर खेले जाने वाले कबड्डी के लोकप्रिय रूप को दर्शकों का जबरदस्त समर्थन मिलता है और सालों पहले शुरू हुई एक प्रमुख प्रोफेशनल लीग भी इसकी लोकप्रियता को बढ़ा रही है। मैट कबड्डी के अलावा समुद्र तटों पर भी एक कबड्डी खेली जाती है, जिसे बीच कबड्डी कहा जाता है। पिछले साल जब दीव में बीच गेम्स का आयोजन हुआ था, तब भी बीच कबड्डी को इवेंट में शामिल किया गया था।

घोघला बीच पर सभी आठ खेलों (जिसमें दो डेमो गेम भी शामिल हैं) के आयोजन की प्रभारी और वरिष्ठ कोच सिमरत गायकवाड़ का मानना है कि बीच कबड्डी के लिए यह बहुत रोमांचक समय है। उन्होंने कहा, “यह एक नया प्रारूप है। खेलो इंडिया बीच गेम्स इस खेल को लोकप्रिय बनाने का बेहतरीन मंच है।”

दिल्ली की लड़कियों की कबड्डी टीम की कोच सुनीता को भी इस नए संस्करण से काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा, “यह एक पूरी तरह से अलग माहौल है। सुंदर समुद्र के किनारे खेलना एक अनोखा अनुभव है। कबड्डी तो वैसे ही भारत में काफी लोकप्रिय है। उम्मीद है कि खेलो इंडिया बीच गेम्स के माध्यम से बीच कबड्डी भी अपनी पहचान बनाएगी।”

बीच कबड्डी इनडोर कबड्डी की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसमें खिलाड़ियों को प्राकृतिक परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। उदाहरण के लिए रेत में पैर धंसने से दौड़ना और दिशा बदलना मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही तेज धूप और समुद्री हवा खिलाड़ियों की सहनशक्ति की कड़ी परीक्षा लेती है। कभी समुद्र की ठंडी हवा चलती है तो कभी वह पूरी तरह से थम जाती है। ये सभी चीज़ें प्रदर्शन को प्रभावित करती हैं।

सुनीता ने यह भी जोड़ा कि गैर-तटीय राज्यों के खिलाड़ियों के लिए यह परिस्थितियां और भी कठिन होती हैं क्योंकि वे इनसे अनजान होते हैं। वह कहती हैं, “यहाँ कृत्रिम रेत का टर्फ तो अच्छा है, लेकिन पूरा वातावरण बेहद अलग और चुनौतीपूर्ण है।”

मुंबई के ठाणे में रहने वाली और सात राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकीं सिमरत गायकवाड़ का मानना है कि भले ही अभी इस खेल को आगे बढ़ाने के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है, लेकिन इसमें एक अच्छा भविष्य है। उन्होंने कहा, “जब ऐसे इवेंट्स नियमित रूप से होंगे, तो और लोग इसमें जुड़ेंगे। यदि इससे कैरियर का एक उचित विकल्प बनता है, तो बीच कबड्डी भी लोकप्रियता की राह पर चल सकती है।”

जहां तक नियमों का सवाल है तो बीच कबड्डी और पारंपरिक कबड्डी के मूल तत्व समान हैं, लेकिन कुछ बदलाव किए गए हैं ताकि यह समुद्र तट की परिस्थितियों के अनुकूल रहे। जैसे कि पारंपरिक कबड्डी में सात जबकि बीच कबड्डी में हर टीम में चार खिलाड़ी होते हैं। हर हाफ 15 मिनट का होता है, जबकि पारंपरिक कबड्डी में 20 मिनट का होता है। बीच कबड्डी में खिलाड़ियों का रिवाइवल नहीं होता जबकि इसका कोर्ट भी काफी छोटा होता है।

केआईबीजी 2025 में लड़कों और लड़कियों की कैटेगरी में दो पूल हैं। प्रत्येक वर्ग में आठ टीमें भाग ले रही हैं। प्रत्येक पूल से शीर्ष दो टीमें सेमीफाइनल में पहुंचेंगी। बीच कबड्डी मुकाबले मंगलवार से शुरू हो चुके हैं और दोनों फाइनल शनिवार को होंगे जो खेलो इंडिया बीच गेम्स का अंतिम प्रतिस्पर्धी दिन होगा।

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