इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद को जेल में सुरक्षा मुहैया कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में निरुद्ध अली अहमद ने अपनी याचिका में कहा है कि जेल में उसकी जान को खतरा है। अपनी याचिका में अली ने अदालत से यह निर्देश जारी करने की मांग की कि सुरक्षा कारणों से उसके मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाए तथा यदि जरूरी हो तो पूछताछ जेल में ही की जाए। बुधवार को जब इस मामले में अदालत द्वारा सुनवाई शुरू की गई तो याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करने कोई अधिवक्ता नहीं आया।
मिली जानकारी के मुताबिक, न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि रिट याचिका में प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गई है ताकि याचिकाकर्ता को किसी तरह का कोई शारीरिक नुकसान ना पहुंचाई जाए। हालांकि अधिवक्ता की अनुपस्थिति को देखते हुए ऐसी स्थिति में इस रिट याचिका को खारिज किया जाता है। इससे पूर्व इस अदालत की एक खंडपीठ ने 20 जून 2023 को याचिकाकर्ता के वकील को पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था जिसमें यह बताने को कहा गया था कि वास्तविक आशंका क्या है जिसके आधार पर इस रिट याचिका को दायर किया गया है।
आपको बता दें कि अपनी रिट याचिका में अली ने खास तौर पर उस समय सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी जब संबंधित अदालत के समक्ष उपस्थित होने के लिए अदालत की ओर से वारंट की तामील कराई जाए। इस साल 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या की जांच के दौरान अली अहमद का नाम सामने आया था। उमेश पाल और उसके दो सुरक्षा गार्ड संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह की धूमनगंज थाना क्षेत्र उमेश पाल के घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल की पत्नी जया पाल की तहरीर पर धूमनगंज थाने में अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, 2 बेटों, साथी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम एवं 9 अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।