अब तो आतंक पर हो आर-पार
सुरेश हिंदुस्तानी
पहलगाम में आतंकियों ने जिस बर्बरता से हिन्दू पर्यटकों को निशाना बनाकर उनकी हत्या की है, वह कई बड़े सवाल खड़े करता है। सबसे पहला सवाल तो यही है कि क्या वास्तव में भारत में हिन्दू होना अपराध है, अगर नहीं तो पाकिस्तानी आतंकियों ने उन्हें केवल हिन्दू होने की सजा क्यों दी। वैसे भी पाकिस्तान हमेशा से हिन्दुओं के बारे जहर उगलता रहा है। हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने हिन्दुओं के विरोध में जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया, उससे ऐसा लगता है कि पाकिस्तान कभी सुधर नहीं सकता। उसे उसी की भाषा में समझाने की आवश्यकता है। आतंक के मुद्दे पर अब आर-पार करने का समय आ गया है।
भारत में हर आतंकी घटना के बाद प्रायः यह सुनाई देता है कि आतंकवाद का कोई धर्म या संप्रदाय नहीं होता। यह निश्चित रूप से इस्लामिक आतंकवाद को सही ठहराने का कार्य करते हैं। यह उस स्थिति में सही माना जा सकता था, ज़ब आतंकी बिना धर्म पूछे गोली चलाते लेकिन पहलगाम में तो केवल हिन्दुओं को ही गोली मारी गई। जो संगठन या व्यक्ति हमेशा यह कहते रहे हैं कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता, पहलगाम में हुई आतंकी घटना से उनकी आँखों से परदा हट जाना चाहिए। घटना में केवल हिन्दू पर्यटकों को धर्म पूछकर गोली मारी गई। पाकिस्तान द्वारा की गई इस आतंकी घटना के बाद स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से तब तक बाज नहीं आएगा, जब तक उसे जैसे को तैसा जवाब नहीं दिया जाएगा।
अब पाकिस्तान के विरोध में कठोर कदम उठाने का समय आ गया है। क्योंकि बार-बार मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान, कश्मीर में अशांति फैलाने का कायरता पूर्ण कार्य करता है। यह सारा खेल पाकिस्तान में आश्रय लेने वाले आतंकी आकाओं के इशारे पर किया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान के इशारे पर आतंकवादियों को कश्मीर में आश्रय कौन देता है, यह जांच का विषय है। कोई भी विदेशी आतंकी तब तक अपने कार्य में सफल नहीं हो सकता, ज़ब तक उसे स्थानीय स्तर पर सहयोग न मिले। इसलिए ऐसी आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय आतंकी तत्वों की पहचान भी जरुरी है।
अभी कुछ दिन पूर्व पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने भारत और हिन्दुओं के विरोध में जहर उगला, उससे साफ हो गया कि वे अपनी सेना और आतंकियों को भारत के विरुद्ध भड़का रहे हैं। हो सकता है यह आतंकी घटना उसी का परिणाम हो। हालांकि सेना प्रमुख के जहरीले बयान के बाद उनके ही देश पाकिस्तान के उन नागरिकों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई थी, जो पाकिस्तान के वर्तमान हालातों में समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसके बाद भी आतंकी सरगनाओं के इशारों पर आतंक फैलाने वालों के लिए यह बयान एक प्रकार से हौसला बढ़ाने वाला ही रहा। जहां एक ओर पूरी दुनिया आतंक की समाप्ति के कदम का समर्थन कर रही है, वहीं पाकिस्तान इसे रोकने के बजाय बढ़ाने में लगा है। अमेरिका भी पाकिस्तान को कई बार आतंक पर लगाम लगाने की चेतावनी दे चुका है, लेकिन ऐसा लगता है कि पाकिस्तान सरकार का आतंकी आकाओं पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं बचा, इसके विपरीत कभी-कभी ऐसा लगता है कि आतंकियों के नियंत्रण में पाकिस्तान की सरकार कार्य कर रही है।
अब तो विश्व के कई मुस्लिम देशों ने भी पाकिस्तान के साथ खड़े होने से इनकार कर दिया। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान अलग-थलग दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान सरकार आतंकियों के सामने बेबस इसलिए है क्योंकि आज पाकिस्तान के अंदरूनी हालात ऐसे हो चुके हैं, जो बिखराव का रास्ता ही निर्मित करता है। बलूचिस्तान में पाकिस्तान के विरोध में लम्बे समय से स्वर उठ रहे हैं, आज इन स्वरों में और तेजी आती जा रही है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के नागरिक भारत के साथ अपने सुखद भविष्य का सपना देखने लगे हैं। ऐसी स्थिति में यही कहना समुचित होगा कि आतंक के मामले पर आर-पार हो ही जाना चाहिए। अब पाकिस्तान को दिन में तारे दिखाने का समय आ गया है। भारत सरकार को आतंक के विरोध में कठोर कार्रवाई करना चाहिए।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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