गोरखपुर विश्वविद्यालय से लेकर यूपी बार काउंसिल तक फर्जीवाड़ा करने वाले अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता की गतिविधियों ने एक बार फिर सभी को चकित कर दिया है। इस बार सुधीर गुप्ता ने भागने की योजना बनाई है और नेपाल में एक नया ऑफिस खोलने में जुटा हुआ है। इससे पहले, जब उसका फर्जीवाड़ा उजागर हुआ, तो उसने गोरखपुर विश्वविद्यालय की सलाह पर लखनऊ का रुख किया और वहां पर श्री रामस्वरूप मोरियल यूनिवर्सिटी में फर्जी तरीके से दाखिला लिया एलएलएम कोर्स का। लेकिन, उसकी सभी गतिविधियां अब धीरे-धीरे सामने आने लगी हैं और ऐसे में वह नेपाल चलने के प्रयास में है।
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, सुधीर गुप्ता के बारे में कई संदिग्ध जानकारी सामने आई है। दृढ़तापूर्वक जांच की जा रही है कि आखिर वह अमेरिका से इतनी बड़ी मात्रा में धन कैसे मंगा रहा है। हाल ही में, एक रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी गई है, जिसमें यह सुझाव दिया गया है कि सुधीर गुप्ता का ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाए। यूपी बार काउंसिल के नियमों के मुताबिक, वह भारत में भ्रामक तरीके से काम कर रहा है, जिसका राज़ धीरे-धीरे खुल रहा है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रशासन पर भी इन फर्जीवाड़ों के मामलों में गंभीर आरोप लग रहे हैं। कई छात्रों को संरक्षण देने की कोशिश की जा रही है, जबकि इसकी सूचना पहले ही विश्वविद्यालय को लिखित में दी गई थी। वीसी प्रो. पूनम टंडन के साथ सुधीर गुप्ता की फोटोज़ भी मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं, लेकिन अब वे इस मामले से खुद को अलग करने की कोशिश कर रही हैं। जांच से ऐसा प्रतीत होता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों के इस गंभीर अपराध को छिपाने का प्रयास किया, जिससे उनकी साख पर सवाल उठ रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र विशेष पांडेय ने भी एक साथ दोनों पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है, जिन्हें नियमों के विरुद्ध माना गया है। इस मामले में भी विश्वविद्यालय का प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। कुछ सीनियर प्रोफेसर्स ने विचार व्यक्त किया है कि इस तरह के मामलों में कार्रवाई करने के बजाय प्रशासन ने जानबूझकर किसी भी गड़बड़ी को छिपाने की कोशिश की है। इस सबूत के बाद, विश्वविद्यालय की छवि पर गहरा साया पड़ सकता है।
गौतम बुद्ध नगर बार काउंसिल के सदस्य निरंकार राम त्रिपाठी ने इस गंभीर मुद्दे पर कहा है कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उचित कार्रवाई नहीं की, तो वे राजभवन तक जाएंगे। शिक्षण संस्थान में आदर्शों और नियमों का पालन सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए। क्योंकि, ये न केवल इन छात्रों के भविष्य का प्रश्न है, बल्कि पूरी शिक्षा प्रणाली की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।
इस मुश्किल स्थिति में, गोरखपुर विश्वविद्यालय को अपने सिस्टम पर काम करना होगा ताकि भविष्य में इस प्रकार के फर्जीवाड़ों को रोका जा सके और छात्रों की अनुशासनहीनता पर सख्त कदम उठाए जा सकें। इससे न केवल इस विश्वविद्यालय की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि छात्रों के लिए भी एक मजबूत और उचित शैक्षणिक वातावरण तैयार होगा।