गोरखपुर। एम्स गोरखपुर ने एक क्रिटिकल बीमारी का इलाज कर एक युवती को नई जिंदगी दी है। युवती को प्यूबिक सिम्फायसिस में टीबी हो गया था। दुनिया में अब तक सिर्फ 41 लोगों में इस बीमारी की पुष्टि हुई है।खास बात यह कि युवती को बीमारी दो बार हुई, जो पहला मामला है।

प्यूबिक सिम्फायसिस में टीबी यह कूल्हे में आंतरिक जोड़ होता है, जहां टीबी के बैक्टीरिया का पहुंचना लगभग असंभव जैसा होता है। विश्व में इसके पहले सिर्फ 40 केस ही रिपोर्टेड हैं। कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर के निर्देशन में आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. राजनंद कुमार, डॉ. नीतिश कुमार, डॉ. अजय भारती, डॉ. सुधीर श्याम कुशवाह, डॉ. विवेक कुमार और डॉ. मिलिंद चंद चौधरी की टीम ने इसकी पहचान की। एमआरआई में पुष्टि के बाद युवती का इलाज शुरू किया गया।

डॉ.सुधीर ने बताया कि हड्डी में होने वाली टीबी को मस्क्युलोटल टीबी कहते हैं। पीड़ित युवती को टीबी के ग्रेड वन दवा की कोर्स शुरू किया गया। यह कोर्स करीब नौ महीने का है। युवती ने छह महीने तक दवा का संजीदगी से सेवन किया। इससे वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई। दर्द और बीमारी के अन्य लक्षण खत्म हो गए। इसके बाद युवती ने शेष तीन महीने का कोर्स पूरा नहीं किया।

डॉ. सुधीर ने बताया कि इसे दुलर्भतम बीमारी की श्रेणी में रखा जाता है। विश्व में इससे पहले प्यूबिक सिम्फायसिस में टीबी के सिर्फ 40 केस ही रिपोर्टेड हैं। उसमें पहली बार ऐसा मामला हुआ कि मरीज को दोबारा टीबी हुआ हो। यह रिसर्च अंतराष्ट्रीय जर्नल पबमेड के अक्तूबर अंक में प्रकाशित हुई है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights