अन्य मेडिकल कॉलेजों में भेजे जाएंगे एसटीएच के अतिरिक्त उपनल कर्मी
हल्द्वानी, 14 जून (हि.स.)। चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेशक ने मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के प्राचार्य को एसटीएच के अतिरिक्त उपनल कर्मचारियों को अन्य मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर करने के आदेश जारी कर दिए हैं। निदेशक के आदेश से उपनल कर्मी सकते में आ गए हैं।
ज्ञात हो कि वेतन नहीं मिलने से परेशान डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) के उपनल कर्मियों का कार्यबहिष्कार 5 दिनों से जारी था। ऐसे में कर्मचारियों के कार्यबहिष्कार से उपचार को पहुंचे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कार्यबहिष्कार के दौरान सुबह पर्ची बनने और बिल कटने के बाद से कर्मी कार्यबहिष्कार कर गेट के सामने धरने पर चले गए फिर 12 बजे बाद काम पर लौटे। उनका कहना है कि जब तक उन्हें वेतन नहीं मिलेगा कार्यबहिष्कार जारी रहेगा।
इधर इस बीच चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ.आशुतोष सयाना द्वारा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को लिखा एक पत्र कर्मचारियों के व्हाट्सएप ग्रुप में घूमने लगा। पत्र में कहा गया है कि 20 से 22 साल से उपनल कर्मी एसटीएच व मेडिकल कॉलेज में अपने कार्य का निर्वहन कर रहे हैं। लेकिन पदों के स्वीकृत नहीं होने के चलते 4 माह से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। ऐसे में अब वरिष्ठता के आधार पर संस्थान में रिक्त पदों के सापेक्ष वेतन भुगतान किए जाने व शेष कर्मियों को अन्य मेडिकल कॉलेज में समायोजित करने के लिए विकल्प पत्र देने को कहा है ताकि इनके वेतन देने की कार्रवाई शुरू की जा सके।
इस मामले में प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी का कहना है कि हमारा पहली कोशिश यह है कि सभी कर्मचारियों को उनका वेतन दिया जाए इसके बाद शासन के जो भी निर्देश होंगे उन्हें लागू किया जाएगा।
वहीं अब निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना के आदेश से एसटीएच के सभी 659 कर्मचारियों में रोष है। कर्मचारी इस आदेश के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि दूसरी जगह ट्रांसफर करने के आदेश उनके साथ ज्यादती है।
उपनल कर्मी पूरन भट्ट ने कहा कि हमें मामूली वेतन मिलता है, वह भी इस बार 4 माह से नहीं मिला है। वेतन की मांग कर रहे हैं तो अन्य जगह शिफ्ट करने का पत्र जारी किया जा रहा है। इस तरह की कोशिशें उपनल कर्मियों को एसटीएच के बाहर करने की है जिससे सभी कर्मचारियों में रोष है। तेजा सिंह उपनल कर्मी,एसटीएच उपनल कर्मी कई साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें नियमित करने की जगह सैलरी तक समय तक नहीं दी जा रही है। कोर्ट द्वारा दिए फैसले को लागू कराने की जगह हमें ट्रांसफर करने की बात हो रही है। जिससे कर्मचारियों में रोष है।