चंद्रयान-3 की सफलता पर लोगों ने पटाखे जलाए, एक-दूसरे को बधाई दी। वहीं, जी-20 के आयोजन पर भी देश ही नहीं, दुनियाभर में भारत की जमकर तारीफें हुईं। लेकिन, जिन इंजीनियर्स ने चंद्रयान-3 के लिए लॉन्चपैड बनाया था और जी-20 के लिए भारत मंडपम को सजाया था, उन कर्मचारियों को अभी तक सैलरी नहीं मिली।
जी-20 के लिए भारत मंडपम की देखरेख करने वाली कंपनी के कर्माचरियों के मंगलवार 19 सितंबर को वेतन न दिए जाने का आरोप लगाते हुए प्रगति मैदान के बाहर प्रदर्शन किया। तो वहीं, चंद्रयान-3 के लिए लॉन्चपैड बनाने वाले इंजीनियर्स पिछले 18 महीने से पैसे के लिए मोहताज हैं। ऐसी खबरें आ रही है कि इंजीनियर्स इडली बेचने के लिए मजबूर हैं।
वहीं, अब इन लोगों का मुद्दा आम आदमी पार्टी ने उठाया है और केंद्र की मोदी सरकार की तीखी आलोचना की है। आम आदमी पार्टी के ऑफिशियल एक्स हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा,
G-20 के आयोजन में अपना खून पसीना लगाने वाले कर्मचारियों को नहीं मिली Salary
इससे पहले ISRO का लॉन्चिंग पैड बनाने वाले कर्मचारियों को भी कई महीनों से सैलरी नहीं दी गई है
MODI जी, G-20, ISRO की सफलता का क्रेडिट तो खूब लेते हो, कभी इन्हें सफल बनाने वाले असली Heroes को उनका वेतन भी दे दिया करो।
खबर के मुताबिक, जी-20 के दौरान भारत मंडपम में तैयारियां करने और देखरेख के लिए प्रिस्टिन यूटिलिटीज नामक कंपनी ने करीब 250 लोगों को काम पर रखा था। अब उन कर्मचारियों ने कंपनी पर वेतन ने देने का आरोप लगाते हुए प्रगति मैदान में प्रदर्शन किया है।
G-20 के आयोजन में अपना खून पसीना लगाने वाले कर्मचारियों को नहीं मिली Salary
इससे पहले ISRO का लॉन्चिंग पैड बनाने वाले कर्मचारियों को भी कई महीनों से सैलरी नहीं दी गई है
MODI जी,
G-20, ISRO की सफलता का क्रेडिट तो खूब लेते हो, कभी इन्हें सफल बनाने वाले असली Heroes को उनका वेतन… pic.twitter.com/99FsW1I45S— AAP (@AamAadmiParty) September 19, 2023
कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी ने उनसे कहा था कि उन्हें प्रति माह 16 हजार रुपए का भुगतान किया जाएगा, लेकिन कई लोगों को केवल 2500 रुपए के आसपास ही मिले। वहीं, दूसरी और चंद्रयान-3 के लॉन्चपैड बनाकर तैयार करने वाले इंजीनियर्स की भी ऐसी कहानी चर्चाओं में आई है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दीपक कुमार उपरारिया HEC (हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड) में टेक्नीशियन रहे हैं। आज दीपक ऐसी स्थिति में है कि वह इडली बेचने के लिए मजबूर हैं। सिर्फ दीपक ही नहीं बल्कि एचईसी के 2800 कर्मचारियों के साथ ऐसा हुआ है कि उन्हें 18 महीने से वेतन नहीं मिला है।