उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा पकड़े गए पाकिस्तान के जासूस, रवींद्र कुमार ने कई चौंकाने वाले रहस्यों से पर्दा उठाया है। रवींद्र का कहना है कि पाकिस्तान में स्थित पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटर (PIO) दोस्ती करने और मेल-जोल बढ़ाने के लिए झूठ और फर्जी बैकग्राउंड का सहारा लेते हैं। पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तस्वीर लगाकर, वे स्वयं को भारतीय साबित करने का प्रयास कर रहे थे। रवींद्र कुमार, जोकि मध्य प्रदेश के शिवपुरी का निवासी है और फिरोजाबाद की हज़रतपुर आर्डिनेंस फैक्ट्री में चार्जमैन के तौर पर कार्यरत था, खुफिया जानकारियाँ लीक कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी से एटीएस को कई पुख्ता सबूत मिले हैं, जिससे उनकी जांच की गति तेज हुई है।
रवींद्र के जाल में फंसने की कहानी में एक फेसबुक आईडी, “नेहा शर्मा” का महत्वपूर्ण योगदान है। शुरुआत में, नेहा ने रवींद्र से संपर्क किया और बताया कि वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़ी हुई है। धीरे-धीरे उनकी बातचीत बढ़ी और वे एक-दूसरे से वॉट्सएप के माध्यम से संपर्क करने लगे। एटीएस के अधिकारियों का कहना है कि रवींद्र और नेहा के बीच देर रात तक बातचीत होती थी, जिसमें वीडियो कॉल भी शामिल थे। जब नेहा ने अपना असली चेहरा दिखाया और रवींद्र से गगनयान मिशन की जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया, तब रवींद्र पूरी तरह से उसके जाल में फंस चुका था।
रवींद्र ने यह भी बताया कि उसने अपने मोबाइल में नेहा का नंबर “चंदन स्टोर कीपर-2” के नाम से सेव किया था, ताकि उसकी पत्नी को कोई संदेह न हो। हालाँकि, वह अपनी बातचीत को डिलीट करता था, फिर भी कुछ चैट अवश्य रह गईं।
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जो 30 दिसंबर, 2024 को लॉन्च होना है। इसके तहत चार एस्ट्रोनॉट्स 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी की कक्षा में जाएंगे और उनके क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा। अगर भारत इस मिशन में सफल होता है, तो वह ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा, जबकि अमेरिका, चीन और रूस पहले ही ऐसा कर चुके हैं।
यूपी एटीएस के एडीजी नीलाब्जा चौधरी ने बताया कि रवींद्र ने गगनयान प्रोजेक्ट से संबंधित कई तरह की संवेदनशील जानकारी अपने हैंडलर को लीक की। इससे स्पष्ट होता है कि रवींद्र जैसे लोग हनी ट्रैप के द्वारा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी की जाल में फंस जाते हैं। ऐसी घटनाओं में अक्सर सोशल मीडिया का सहारा लिया जाता है, जिसमें जासूस पहले दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं और धीरे-धीरे भावनात्मक रिश्ते बनाकर जानकारी हासिल करते हैं। एटीएस के अधिकारी बताते हैं कि यह एक जासूसी तकनीक है, जिसमें व्यक्ति को भावनात्मक रूप से कमजोर कर दिया जाता है, जिससे वह अपनी जानकारियां देने के लिए मजबूर हो जाता है।
इस तरह की गतिविधियों के प्रति जागरूक रहना महत्वपूर्ण है। रवींद्र कुमार जैसे मामलों में, यह स्पष्ट है कि कैसे एक पारिवारिक व्यक्ति आसानी से जाल में फंस सकता है। एटीएस की इस कार्रवाई से यह भी स्पष्ट होता है कि सुरक्षा एजेंसियां ऐसी गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही हैं और देश की सुरक्षा के लिए उनका कड़ा प्रयास जारी है।