महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अधिकारी स्वप्निल डांगरेकर ने भारत विकास परिषद विकलांग पुनर्वास केंद्र (पुणे) और ढोले पाटिल एजुकेशन सोसाइटी (पुणे) को 8 घंटे में 892 दिव्यांगों (विकलांग लोगों) को कृत्रिम अंग लगाने का अनोख रिकॉर्ड बनाने के लिए सम्मानित किया।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मौके पर कहा, “पश्चिमी संस्कृति कहती है कि केवल शक्तिशाली ही जीवित रहेगा, लेकिन भारतीय संस्कृति मानती है कि हर जन्म लेने वाले व्यक्ति को जीने का अधिकार है। इस अधिकार को सुनिश्चित करना समाज की जिम्मेदारी है।”
सीएम फडणवीस पुणे के लॉ कॉलेज रोड स्थित भांडारकर इंस्टिट्यूट में रविवार को आयोजित विशेष कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां भारत विकास परिषद विकलांग पुनर्वसन केंद्र और ढोले पाटील एजुकेशन सोसाइटी की ओर से दिव्यांगों को कृत्रिम अंग वितरित किए गए। इस अवसर पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का प्रमाणपत्र भी प्रदान किया गया।
इस ऐतिहासिक पहल के तहत सिर्फ 8 घंटे में 892 दिव्यांगों को उन्नत कृत्रिम अंग (प्रोस्थेटिक हाथ और पैर) लगाए गए, जिससे यह आयोजन विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधि स्वप्निल डांगरेकर ने यह प्रमाणपत्र मुख्यमंत्री फडणवीस की उपस्थिति में सौंपा।
कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल और राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील भी मौजूद थे।मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस सेवा भावना से भरे कार्य को सराहते हुए कहा, “रिकॉर्ड तो सिर्फ एक पड़ाव होते हैं, लेकिन जो सेवा आत्मा से करते हैं, उनके लिए यह यात्रा कभी खत्म नहीं होती। मुझे विश्वास है कि यह संस्था फिर से नया रिकॉर्ड बनाएगी।”
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मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिव्यांगों के कल्याण के लिए की गई पहलों की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि अब भारत में ही विश्वस्तरीय कृत्रिम अंगों का निर्माण हो रहा है, जो पहले विदेशों से मंगवाए जाते थे। ALIMCO (Artificial Limbs Manufacturing Corporation of India) की स्थापना इसी दिशा में एक क्रांतिकारी कदम रही है।
पुनर्वसन केंद्र के अध्यक्ष दत्तात्रय चितले (Dattatray Chitale) ने बताया कि 8 घंटे के भीतर 892 उन्नत कृत्रिम हाथ और पैर लगाए गए। इस रिकॉर्ड को बनाने में कई उदार दानदाताओं और संस्थानों का बड़ा सहयोग रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे सेवा कार्य समाज में सकारात्मक मूल्यों को जन्म देते हैं।