उत्तर प्रदेश के आगरा में पुलिस आयुक्त जे. रविन्दर गौड एक्शन मोड पर है। उन्होंने बुधवार को सात दरोगा समेत 30 पुलिसकर्मियों को एक साथ निलंबित कर दिया है। इनमें से 16 पुलिसकर्मियों पर पासपोर्ट रिपोर्ट लगाने के लिए रिश्वत मांगने का आरोप लगा है। वहीं, अन्य पुलिसकर्मियों पर न्यायिक कार्य और विवेचना में लापरवाही समेत कई गंभीर आरोप है। इस कार्रवाई के बाद से विभाग में खलबली मच गई है।

बता दें कि नवंबर 2022 में आगरा में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू की गई थी। यह व्यवस्था लागू होने के अब तक की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। पुलिस कमिश्नर तक शहर के 9 थाना क्षेत्रों में तैनात दरोगा, मुंशी और सिपाहियों की शिकायतें पहुंची थीं। पुलिस कमिश्नर ने फीडबैक सेल से शिकायतों की जांच कराई। जिससे 30 पुलिसकर्मियों की पोल खुल गई। निलंबित होने वाले यह 30 पुलिसकर्मियों में पांच साइबर सेल के हैं। इन पर गुटबाजी का आरोप था।

दरअसल, पुलिस आयुक्त जे. रविन्दर गौड ने चुनाव से पहले बीट पुलिस अधिकारी (BPO) प्रणाली लागू की थी। बीपीओ को निर्देश थे कि पासपोर्ट रिपोर्ट, चरित्र प्रमाण पत्र के बदले में घूस नहीं लेगा। बीपीओ और दारोगा की कार्यप्रणाली जानने को फीड बैक सेल बनाई थी। यहां तैनात पुलिसकर्मियों को आवेदकों और पीड़ितों को फोन करके उनका फीड बैक लेगे। लेकिन, फीड बैक सेल की रिपोर्ट में पासपोर्ट मामले में रिपोर्ट लगाने के नाम पर घूस मांगने पर 16 पुलिसकर्मी फंस गए। जिसमें दो प्रशिक्षु समेत चार दारोगा, एक महिला आरक्षी, एक मुख्य आरक्षी और 10 पुलिसकर्मी शामिल हैं। इन सभी को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, छत्ता में ऑटो चालक से मारपीट के मामले में एक दारोगा समेत पांच पुलिसकर्मी, साइबर सेल में गुटबाजी में पांच पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड कर दिया गया है।

 

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