रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक मंदी के बावजूद अगले वित्तवर्ष (2024-25) में भारतीय अर्थव्यवस्था 7 फीसदी बढ़ने की संभावना है। भारत के अर्थव्यवस्था पर वैश्विक चुनौतियों का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्लूईएफ) की बैठक के मौके पर सीआईआई सत्र में दास ने कहा, “चुनौतीपूर्ण वैश्विक व्यापक आर्थिक माहौल के बीच, भारत विकास और स्थिरता की तस्वीर पेश करता है।”
उन्होंने कहा, “हाल के वर्षों में सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मध्यम और दीर्घकालिक विकास संभावनाओं को बढ़ावा दिया है।” उन्होंने कहा कि मजबूत घरेलू मांग के साथ भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। दास ने यह भी कहा कि भारत में मुद्रास्फीति 2022 के मध्य में देखे गए उच्च स्तर से नीचे आ गई है।
उन्होंने कहा, “सॉफ्ट लैंडिंग की संभावना में सुधार हुआ है और बाजारों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। हालांकि, भू-राजनीतिक जोखिम और जलवायु जोखिम चिंता का विषय बने हुए हैं।” सॉफ्ट लैंडिंग एक ऐसी स्थिति है, जहां केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को अवरुद्ध होने से बचाने के लिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में तेज वृद्धि नहीं करता है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार के साथ बाहरी संतुलन का सवाल है, भारत आरामदायक स्थिति में है।