उत्तर प्रदेश 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामले में आज यानी 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
बता दें कि इस मामले में 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच ने एक फैसले दिया था। जिसे अनारक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है। जबकि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों और सरकार ने इस फैसले को सही माना हैं। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सरकार से इसका पालन किए जाने के लिए आग्रह भी किया। लेकिन सरकार इस पर आगे नहीं बढ़ पाई और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुना गया है।

इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षकों की नियुक्ति लिस्ट नए सिरे से जारी करने का हाई कोर्ट का आदेश फिलहाल स्थगित रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले के कानूनी पहलुओं को परख कर आदेश देगा। हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमों का पालन न होने के आधार पर मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी। इसका असर लगभग 19000 ऐसे लोगों पर पड़ सकता है, जो 4 साल से नौकरी कर रहे हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा कि वह अधिकतम 7-7 पन्नों में अपनी लिखित दलीलें जमा करवा दें। कोर्ट ने इसके लिए 2 नोडल वकील तय किए। राज्य सरकार से भी जवाब दाखिल करने कहा है।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपराधी को संरक्षण और निर्दोष को प्रताड़ना मिल रही है। उन्होंने  रविवार देर शाम फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिये लुटेरों की जगह निर्दोष को ही गैरकानूनी तरीके से फंसाने का आरोप लगाते हुए रायबरेली पुलिस को लताड़ लगाई है।
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