लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में अंसल इंफ्रा के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी के पांच मामलों की शिकायत दर्ज की गई है। इससे पहले गोमतीनगर और हजरतगंज थानों में भी इस कंपनी के खिलाफ दो मामले दर्ज हो चुके हैं। आरोप है कि अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रा ने ग्राहकों से प्लॉट और विला के नाम पर धोखाधड़ी की है। कई ग्राहक इस कंपनी से संपत्ति की खरीदारी के बाद समय पर सौदा पूर्ण न होने से परेशान हैं। जब ग्राहकों ने अपनी समस्याओं के बारे में निदेशकों से जानकारी मांगी, तो उन्हें धमकी दी गई।

इस विषय में बात करते हुए, तेलीबाग के रहने वाले रिटायर कैप्टन कन्हैया लाल ने बताया कि अंसल प्रॉपर्टीज ने 2012 में हाइटेक टाउनशिप बनाने का आकर्षक प्रचार किया था। उन्होंने उसी दौरान एक विला बुक किया और इसके लिए 12 लाख 71 हजार रुपये का भुगतान किया। हालांकि, वर्षों बीत जाने के बावजूद उन्हें विला का कब्जा नहीं मिला है। इसी प्रकार, गोमतीनगर विस्तार निवासी राकेश चंद्र श्रीवास्तव ने 2007 में साढ़े तीन लाख रुपये में प्लॉट बुक कराया था, जिसके बारे में उन्होंने सोचा था कि 15 साल बाद अपने सपनों का घर बनाएंगे, परंतु आज तक उसे भी कब्जा नहीं मिला है।

सुशांत गोल्फ सिटी कोतवाली में धोखाधड़ी का शिकार हुए एक और ग्राहक, कैलाश चंद्र, ने ओमेक्स सिटी से तीन प्लॉट बुक किए थे। उन्हें आरोप है कि कंपनी के निदेशकों ने उनकी जमीन की रजिस्ट्री करने से मना कर दिया। इसके अलावा, अलीगंज सेक्टर-एच की पुष्पलता बाजपेई ने 2011 में 13 लाख 21 हजार रुपये का एक प्लॉट बुक कराया था, और आशियाना सेक्टर-के की वीना चंदानी ने दो प्लॉट बुक करने के लिए 16 लाख 63 हजार रुपये दिए थे, लेकिन उन्हें अब तक कोई संपत्ति प्राप्त नहीं हुई है।

एक अन्य पीड़ित, अनुपम अग्रवाल, ने सितंबर 2022 में लगभग दो करोड़ 32 लाख रुपये देकर 1528 वर्ग फीट का प्लॉट खरीदा था। निदेशकों ने उन्हें जल्दी रजिस्ट्री की गारंटी दी थी, लेकिन उस प्लॉट का आवंटन अचानक रद्द कर दिया गया। जब उन्होंने खुद इस मामले की जांच करवाई, तो पता चला कि उस जमीन को पहले ही 3 करोड़ 33 लाख में बेच दिया गया था।

इन सभी पीड़ितों ने अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रा के निदेशकों, जिनमें प्रणव अंसल, सुशील अंसल, राजेश्वर राव, विकास सिंह, विनय तिवारी, प्रशांत और मनोज कपूर शामिल हैं, पर धोखाधड़ी का जबरदस्त आरोप लगाया है। यह मामला लखनऊ में संपत्ति की बिक्री से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों की गंभीरता को उजागर करता है, जिससे कई ग्राहक भारी संकट में पड़े हैं। अब यह देखना है कि न्यायिक प्रक्रिया कैसे इस मामले का समाधान कर पाएगी और क्या इन ग्राहकों को उनकी मेहनत की कमाई वापस मिल पाएगी।

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