रायपुर में 4 साल के बच्चे को जिंदा जलाने वाले व्यक्ति को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। रायपुर की अदालत ने इसे ‘Rarest of Rare’ केस मानते हुए आरोपी पंचराम गेंड्रे को मृत्युदंड देने का आदेश दिया। इस मामले में कोर्ट ने उसे आखिरी सांस तक फांसी पर लटकाए रखने की सजा दी है।
पंचराम गेंड्रे ने 5 अप्रैल 2022 को 4 साल के हर्ष चेतन को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया। उसने यह घिनौनी हरकत इसलिए की क्योंकि हर्ष की मां पुष्पा चेतन उसे नजरअंदाज करती थी। गेंड्रे को यह गुस्सा आ गया था और उसने इस हत्या को बदला लेने के तौर पर अंजाम दिया। जयेंद्र चेतन, हर्ष के पिता ने पुलिस में शिकायत दी थी कि उनका पड़ोसी पंचराम गेंड्रे उनके बच्चों दिव्यांश (5) और हर्ष (4) को घुमाने के बहाने मोटरसाइकिल पर लेकर गया था। जबकि दिव्यांश को उसकी मां ने वापस बुला लिया था, हर्ष ने एक और सवारी करने की जिद की, और फिर पंचराम उसे एक सुनसान इलाके में ले गया। वहां उसने पेट्रोल खरीदा, हर्ष पर छिड़का और आग लगा दी। जब हर्ष वापस नहीं लौटा, तो उसकी तलाश शुरू हुई। पुलिस ने जली हुई लाश बरामद की और जयेंद्र चेतन ने पंचराम पर हत्या का शक जताया। जांच के दौरान पता चला कि पंचराम ने जानबूझकर यह हत्या की थी।
पंचराम गेंड्रे ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह पुष्पा चेतन को पसंद करता था, लेकिन जब उसने उससे बात करने की कोशिश की तो वह उसे नजरअंदाज कर देती थी। इससे गुस्से में आकर उसने हर्ष को मारने का फैसला किया। पंचराम ने 2 लीटर पेट्रोल खरीदा और हर्ष पर छिड़ककर उसे जिंदा जला दिया।वारदात के बाद, पंचराम नागपुर भाग गया, लेकिन पुलिस ने उसकी मां के मोबाइल फोन के जरिए उसे ट्रैक किया और उसे पकड़ लिया।
वारदात के बाद पंचराम नागपुर भाग गया, जहां वह दो दिन तक छिपा रहा। हालांकि, पुलिस ने उसकी मां के मोबाइल फोन के जरिए उसे ट्रैक कर लिया। नागपुर भागने से पहले उसने अपनी मोटरसाइकिल 25,000 रुपये में बेच दी थी और 15,000 रुपये एडवांस ले लिए थे।
जयेंद्र चेतन, हर्ष के पिता, ने बताया कि पंचराम उनके साथ ही इमारत में रहता था और बच्चों के लिए चाचा जैसा था। वह अक्सर उन्हें मिठाइयां देता था और कभी किसी खतरनाक हरकत पर शक नहीं हुआ। लेकिन उसकी एक जघन्य हरकत ने पूरी परिवार की जिंदगी बदल दी। बेटे की मौत ने पत्नी को गहरा सदमा दिया और वह बीमार हो गई। इसके इलाज के लिए जयेंद्र कर्जदार हो गए और उन्हें अपना घर जांजगीर-चांपा लौटाना पड़ा।
इस मामले में रायपुर की अदालत ने कहा कि ऐसे घिनौने अपराधों में अगर उदारता दिखाई जाती है, तो इससे अपराधियों का हौसला बढ़ सकता है और न्याय व्यवस्था कमजोर हो सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि आरोपी को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है, इसीलिए उसे फांसी की सजा दी गई है।
यह सजा रायपुर में पिछले 46 वर्षों में किसी हत्या के मामले में दी गई पहली मौत की सजा है।