UP के मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का मामला सुर्खियों में है। सिर्फ मर्यादित कपड़ों में ही एंट्री देने का नोटिस भी चस्पा हो चुका है। जिनमें लिखा है कि वेस्टर्न आउट फिट पहनकर मंदिर में न आएं। वहीं अलीगढ़ के सिद्धपीठ श्री गिलहराजजी मंदिर में ड्रेस कोड के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों के प्रवेश पर भी पाबंदी लगाई गई है। 26 दिनों में यूपी के 7 मंदिरों में छोटे और वेस्टर्न ड्रेस पर रोक लगा दी गई है।
इन शहरों में अलीगढ़, गाजियाबाद, मेरठ, प्रयागराज, मुजफ्फरनगर, शामली और वृंदावन के मंदिर शामिल हैं। मेरठ में वेस्ट एंड रोड कैंट एरिया में ऑन रोड मंदिर स्थित है। मंदिर पहुंचे, तो संध्या आरती शुरू होने वाली थी। परिसर में आते ही लाल पत्थर की नक्काशीदार दीवारें दिखती हैं। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर दो कोटपालों की आकृतियां नक्काशी कर पत्थर में उकेरी गई हैं। मंदिर से सटी पूजन सामग्री की बड़ी दुकानें हैं। बाहर फूलमाला, दीपक की छोटी सी दुकान भी है। मंदिर में सामने बालाजी महाराज विराजमान हैं। माता अंजना, राम दरबार की भी मूर्तियां हैं।
मंदिर के बरामदे में भक्तों की भीड़ है। काले-सफेद मार्बल से सजे बरामदे में एक ओर महिलाएं और दूसरी ओर पुरुष बैठे हैं। कुछ लोग हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। कुछ अन्य प्रकार से इष्ट की भक्ति में लीन है। वहीं एक तरफ बाबा का दरबार सजाने की तैयारी चल रही है। पूछने पर कुछ लोगों ने बताया कि हर मंगलवार को आरती के बाद यहां बाबा का दरबार सजता है। जिसमें मानसिक रोगियों का इलाज किया जाता है।
बालाजी मंदिर के महामंडलेश्वर श्रीश्री 108 महेंद्र दास महाराज सिद्धपीठ संकट मोचन हनुमान एवं बालाजी शनिधाम मंदिर के प्रधान सेवक हैं। वह कहते हैं, “मंदिर लगभग 50 साल पुराना है। 50 साल पहले मेरे पिताजी महंत सुमंतदास जी महाराज ने इस मंदिर को स्थापित कर निर्माण कराया।
मुख्य बात यह है कि इस मंदिर में मेहंदीपुर बालाजी की तरह हर मंगलवार को बाबा के चरणों में मानसिक रोगी आते हैं। उनकी अर्जी लगती है। यहां से मरीज स्वस्थ होकर जाते हैं। कहते हैं एक लड्डू मरीज को खाने को देते हैं, जिससे उनके सारे शारीरिक रोग दूर हो जाते हैं। मंदिर में पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, NCR से मरीज आते हैं।”
बालाजी महाराज मंदिर में 10 जून को ड्रेस कोड का नोटिस लगाया गया था। मंदिर महंत की तरफ से संदेश जारी किया गया कि मंदिर में आना है, तो मर्यादित कपड़े पहनकर आना होगा। जींस, टी-शर्ट, टॉप, स्लीवलेस कपड़े, कटी-फटी जींस, छोटे कपड़े और अन्य प्रकार के वेस्टर्न कपड़े पहनकर आने वालों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा।
मंदिर में काफी साल पहले भी ये निर्णय लिया गया था। कुछ दिन फॉलो होता रहा, बाद में सब सामान्य हो गया। अब मंदिर प्रोटोकॉल में गंभीरता से इस निर्णय को लागू कर दिया गया है।
मंदिर के प्रधान सेवक महामंडलेश्वर महंत महेंद्र दास कहते हैं, “अमर्यादित वस्त्र पहनकर मंदिर में प्रवेश करने पर रोक लगाई है। मंदिरों की व्यवस्थाएं खराब हो रही हैं। सनातन धर्म परंपरा को संरक्षित करने के लिए हमें यह कदम उठाना पड़ा है। महिलाएं भारतीय परिधान पहनें। नियम महिला, पुरुष, बच्चा, जवान सभी के लिए है।”
महेंद्र दास आगे कहते हैं, ”अपनी संस्कृति को बचाने के लिए हर कोई कदम उठाता है। हम निर्मोही अखाड़े से जुड़े हैं। हमारे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने सबसे पहले टपकेश्वर महादेव देहरादून में यह नियम लागू किया। इसके बाद नीलकंठ महादेव, हरिद्वार के मंदिरों में ये नियम लागू किया गया। कुछ लोग हैं जो इस पर विवाद करते हैं। लेकिन बड़ी संख्या में लोग हमारे प्रयास की सराहना कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “अमर्यादित वस्त्रों से दूसरों का ध्यान भंग होता है। हम लोगों को समझाएंगे। अशोभनीय वस्त्रों के कारण कुछ प्रकरण हुए हैं, लेकिन उन लोगों को समझाकर वापस भेजा गया। हमारे अखाड़े में 60% नागा साधु हैं, वो हिमालय पर रहते हैं। केवल कुंभ में बाहर निकलते हैं। कभी जनता के बीच नहीं आते। वो वन में रहकर तप करते हैं, पब्लिक में नहीं जाते। आधे-अधूरे वस्त्र पहनकर मंदिरों में पूजा नहीं होती। मन के साथ-साथ पोशाक भी सभ्य होना चाहिए।”
बालाजी महाराज मंदिर से सटा शनि महाराज मंदिर है। इस मंदिर में भी वेस्टर्न कपड़े पहनकर आने पर प्रवेश निषेध किया गया है। मंदिर में 27 फीट ऊंची शनि महाराज की काली मूर्ति है। अष्टधातु की बनी इस मूर्ति को विशेष रूप से तैयार कराया गया है।
तांबा, पीतल, जस्ता, लोहा, सोना व अन्य मेटल्स से मूर्ति बनी है। हर शनिवार, अमावस्या, शनि जयंती पर विशाल आयोजन होता है। हर शनिवार सुबह 8 बजे यज्ञ होता है। यहां 325 किलो सरसों के तेल से शनि महाराज की अखंड ज्योति जलती है। इसके सपोर्ट में 5 अखंड ज्योति और जलती हैं।