तहसील और कोर्ट के न्याय का असल रूप तब दिखा जब जिले में बरहज क्षेत्र के नरसिंहडांड़ गांव निवासी और पूर्व प्रधान शांति देवी मंगलवार को 22 वर्ष बाद अपने गांव पहुंचीं। घर में पैर रखते ही वह भावुक होकर रोने लगीं। उनको यह सब सपने जैसा लग रहा था, इतने वर्षों बाद अपने घर और जमीन पर कब्जा मिलने के बाद उन्होंने सीएम और अधिकारियों को दिल से आभार जताया। शांति देवी घर को बदमाशों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए उन्होंने सोमवार को मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गुहार लगाई थी।
पूर्व प्रधान शांति देवी गांव के ही कुछ बदमाशों के भय से घर छोड़कर चलीं गईं थीं। वह अपनी पुत्रियों मनोरमा, सुनीता और रेनू के घर रहते हुए समय काट रहीं थीं। परिजनो की सलाह पर उन्होंने तीन दिन प्रवास पर गोरखपुर आए मुख्यमंत्री से जनता दरबार में मिलकर गुहार लगाई। शांति देवी का कहना है कि बदमाशों के भय से 22 वर्ष से गांव छोड़कर बाहर रहने की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री,अधिकारियों पर भड़क गए थे।
उन्होंने अधिकारियों को डांट लगाते हुए उन्हें घर वापस कराने का निर्देश दिया था। अगले दिन ही अधिकारियों ने उन्हें उनके घर पर कब्जा दिला दिया। घर पहुंची शांति का कहना था कि इतने वर्ष बाद गांव पहुंचने पर उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है।उन्होंने कहा कि गांव में बहुत कुछ बदल गया है। एसडीएम अवधेश कुमार निगम ने बताया कि महिला ने पूर्व के विवाद और कुछ लोगों के भय से गांव छोड़ दिया था। मुख्यमंत्री और अधिकारियों के निर्देश पर उन्हें काबिज कराया गया है।
मईल थाना क्षेत्र के नरसिंहडांड़ निवासी और पूर्व प्रधान शांति देवी 1995 से 2000 तक गांव की प्रधान थीं। उन्होंने बताया कि उनके पति के नाम राजस्व अभिलेखों में करीब 50 बीघा कृषि भूमि दर्ज थी। बदमाशों ने जमीन हड़पने की नीयत से 1976 में उनके पति सूर्यदेव यादव की हत्या कर दी थी। जबकि सन 2000 में इकलौते पुत्र रामदुलारे की हत्या कर दी गई। न्याय न मिलने और बदमाशों के डर से गांव छोड़ कर पुत्री मनोरमा, सुनीता और रेनू के घर जीवन-यापन कर रहीं थीं। उनका कहना है कि मकान पर कब्जा मिल गया है। बाकी जमीन पर अब भी माफिया का कब्जा है, लेकिन मुख्यमंत्री पर पूरा भरोसा है। न्याय जरूर मिलेगा। माफियाओं पर सख्त मुख्यमत्री योगी के अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस से एक पति और इकलौते बेटे को खो चुकी महिला को न्याय मिला।