कानपुर देहात के चर्चित बेहमई सामूहिक हत्याकांड के 43 साल पुराने मामले में बुधवार को आखिरकार फैसला सुनाया गया। वारदात के दोषी एक व्यक्ति को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। कानपुर देहात के जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बताया कि 14 फरवरी 1981 को कानपुर देहात के राजपुर थाना क्षेत्र स्थित बेहमई गांव में दस्यु फूलन देवी और उसके गिरोह द्वारा 20 लोगों की गोली मारकर हत्या किए जाने के मामले में कानपुर देहात की डकैती रोधी अदालत के न्यायाधीश अमित मालवीय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले के एक आरोपी श्याम बाबू (65) को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है और एक अन्य आरोपी विश्वनाथ (60) को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। उन्होंने बताया कि इस वारदात में मुख्य अभियुक्त फूलन देवी समेत कुल 35 लोगों को आरोपी बनाया गया था। उनमें से श्याम बाबू और विश्वनाथ को छोड़कर बाकी सभी की मौत हो चुकी है।
कानपुर देहात के राजपुर थाना क्षेत्र स्थित बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981 को फूलन देवी ने 20 लोगों को एक कतार में खड़ा कर उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं जिससे उन सभी की मौत हो गई थी। इस लोमहर्षक वारदात की पूरे देश में चर्चा हुई थी। नरसंहार के बाद के वर्षों में फूलन देवी ने आत्मसमर्पण कर दिया था। वर्ष 1994 में राज्य की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने फूलन देवी के खिलाफ सभी आरोपों को सरसरी तौर पर वापस ले लिया था जिसके बाद फूलन को रिहा कर दिया गया था। उसके बाद वर्ष 1996 और 1998 में वह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में दो बार मिर्जापुर से सांसद चुनी गई थी। वर्ष 2001 की 25 जुलाई को नई दिल्ली में फूलन देवी की उनके सरकारी आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई।