प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बुधवार को बिहार के राजगीर के प्राचीन विश्वविद्यालय के खंडहरों के पास नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया है। इसे नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस के तौर पर जाना जाएगा। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और आसियान देशों के प्रतिनिधियों सहित 17 भागीदार देशों के राजदूत भी शामिल हुए हैं।
परिसर का नाम प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के नाम पर रखा गया है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को लगभग 1600 साल पहले बनाया गया था। इस विश्वविद्यालय की स्थापना श्रेय गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम ने 450-470 में किया था।
इस विश्वविद्यालय को हेमंत कुमार गुप्त के उत्तराधिकारियों का भी पूरा सहयोग मिला था। इसे महान सम्राट हर्षवर्द्धन और पाल शासकों ने भी संरक्षण दिया था। इसे 1190 के दशक में तुर्क-अफगान सैन्य जनरल बख्तियार खिलजी ने विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था। कहा जाता है कि ये विश्वविद्यालय इतना विशाल था कि इसे जलने में तीन महीने का वक्त लगा था।
आइए जानें नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस की 10 खास बातें?
🔴 नालंदा के खंडहरों से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर पिछले चार सालों से बनाया जा रहा था। ये पटना से 100 किलोमीटर से अधिक दूर है।
🔴 नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस 455 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें शैक्षणिक और प्रशासनिक ब्लॉक, शिक्षकों और छात्रों के रहने के क्वार्टर, प्रयोगशालाएँ और पुस्तकालय हैं।
🔴 नालंदा यूनिवर्सिटी, में लगभग 7,500 शिक्षक और छात्र अध्ययन कर सकते हैं। नालंदा यूनिवर्सिटी के कैंपस में ऐतिहासिक अध्ययन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन, बौद्ध अध्ययन, दर्शन और तुलनात्मक धर्म, भाषा और साहित्य/मानविकी, प्रबंधन अध्ययन और अंतर्राष्ट्रीय संबंध जैसे छह स्कूलों में नामांकित हैं।
🔴 नालंदा यूनिवर्सिटी में दो अकेडमिक ब्लॉक हैं, जिनमें 40 क्लासरूम हैं। इस नालंदा विश्वविद्यालय में कुल 1900 छात्रों के बैठने की व्यवस्था है। इसमें यूनिवर्सिटी में दो ऑडिटोरयम भी हैं, जिसमें 300 सीटें हैं। इसके अलावा इंटरनेशनल सेंटर और एम्फीथिएटर भी बनाया गया है, जिसमें 2 हजार छात्र बैठ सकते हैं।
🔴 नालंदा यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के मुताबिक, वास्तु शिल्पा कंसल्टेंट्स द्वारा डिजाइन किए गए नए परिसर में जानबूझकर कुल क्षेत्रफल का केवल आठ प्रतिशत हिस्सा ही भवन निर्माण के लिए उपयोग किया गया है। ताकि “प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई वास्तुकला और भौगोलिक सेटिंग से चीचें मिल सके।”
🔴 नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस की फीचर की बात करें तो यहां छात्रों के लिए ओपन रूम स्टडी सेंटर बनाए गए हैं। वहीं “बोतल के आकार के” बाजार बनाए हैं। यह एक नो-व्हीकल जोन है। यहां जाने के लिए आगंतुकों, छात्रों और शिक्षकों परिसर के भीतर पैदल या साइकिल का इस्तेमाल करना होगा।
🔴 अभी तक अधिकारियों ने पूरी परियोजना की आधिकारिक लागत का खुलासा नहीं किया, लेकिन अगस्त 2016 तक भारत ने 684.74 करोड़ रुपये का योगदान दिया था। वहीं चीन और ऑस्ट्रेलिया ने 1-1 मिलियन डॉलर का योगदान दिया था, इसके अलावा थाईलैंड और लाओस ने भी योगदान दिया था।
🔴 नया परिसर नालंदा महाविहार के सांस्कृतिक और स्थापत्य कला को बनाए रखने पर केंद्रित है, जो 5वीं-12वीं शताब्दी ईस्वी का विश्वविद्यालय है जिसे प्राचीन भारत में शिक्षा के सबसे महान केंद्रों में से एक माना जाता था।
🔴बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को 2016 में यूनेस्को द्वारा विश्व सांस्कृतिक विरासत घोषित किया गया था।
🔴 नालंदा विश्वविद्यालय में भारत के अलावा 17 अन्य देशों की भी भागीदारी है। वो देश इस प्रकार हैं, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम।
🔴 नालंदा विश्वविद्यालय की तरफ से इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए 137 स्कॉलरशिप रखी गई है। आने वाले नए सेशन में पीएचडी कोर्स के लिए कई देशों के छात्रों ने आवेदन किए हैं।
🔴 नालंदा विश्वविद्यालय का कैंपस असल में ‘NET ZERO’ कैंपस है। ‘NET ZERO’ कैंपस का अर्थ है, पर्यावरण अनुकूल के एक्टिविटी और शिक्षा। कैंपस में पानी को रि-साइकल करने के लिए प्लांट लगाया गया है।