मणिपुर में कुछ बैन आर्गनाइजेशन द्वारा स्वतंत्रा दिवस पर हड़ताल के आह्वान के बाद सुरक्षा एजेंसियां ने इंफाल घाटी की सुरक्षा बढ़ा दी है। पुलिस ने मणिपुर के कई इलाकों में तलाशी अभियान भी चलाया है। इस दौरान भारी मात्रा में गोला बारूद जब्त किए गए हैं।
बता दें कि स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए बीएसएफ, पुलिस और असम राइफल्स के जवान मार्च पास्ट के लिए अपनी तैयारियां कर रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया, “शनिवार को चुराचांदपुर जिले के तुइबौंग क्षेत्र के पीस ग्राउंड में स्वतंत्रता दिवस समारोह की रिहर्सल आयोजित की गई।”
मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी। मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया था। इसी दिन करीब 80 हजार लोग मार्च में शामिल हुए थे। इसी दौरान हिंसा भड़की। हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।
मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जो टोटल एरिया का मात्र दस प्रतिशत है। कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है। ये लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं। जो कुल क्षेत्र का 90 प्रतिशत है।