गोवर्धन पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि में की जाती है। इस दिन घर में गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है। भगवान की कथा पढ़कर भोग प्रसाद लगाया जाता है।
हर साल कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर उनको पूजा जाता है। साथ ही भगवान श्री कृष्ण की भी आराधना की जाती है और गौ माता को भी हरा चारा आदि खिलाया जाता है। गोवर्धन पूजा का महत्व प्राचीन समय से चला आ रहा है। जिसके पीछे एक धार्मिक कहानी प्रचलित है कि इस दिन द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देवता द्वारा की गई मूसलाधार बारिश से गोकुलवासियों के जीवन को बचाया था। जिसके लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था। तभी से गोवर्धन का त्योहार विधिवत मनाया जाने लगा। गोवर्धन पूजा के विषय में कहा जाता है कि जो व्यक्ति गोवर्धन पूजा को विधि विधान से संपन्न करता है। उसके जीवन में सदैव सुख शांति बनी रहती है।
13 या 14 नवंबर कब है गोवर्धन पूजा?
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि में गोवर्धन पूजा की जाती है। इस बार यह तिथि 14 नवंबर को पड़ रही है। प्रतिपदा तिथि मंगलवार को शाम 4 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर 15 नवंबर को बुधवार दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों की मानें तो गोवर्धन पूजा प्रदोष काल में की जाती है इसलिए इस साल गोवर्धन का पर्व 14 नवंबर को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त –
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:43 से 08:52
अवधि – 02 घण्टे 09 मिनट्स
शोभन योग – 14 नवंबर को सुबह से दोपहर 1 बजकर 7 मिनट तक।
अनुराधा नक्षत्र – सुबह से लेकर 15 नवंबर की रात 3 बजकर 24 मिनट तक
गोवर्धन पूजा विधि –
- गोवर्धन वाले दिन सुबह सूर्योदय के बाद स्नान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र पहनें।
- अब गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाएं।
- चित्र के अंदर भगवान श्री कृष्ण या श्री गणेश की मूर्ति रखें।
- पूजा की थाली में रोली, चावल, बताशे, धूप, तेल का दीपक, कलश में जल, केसर, नैवेद्य, धूप, मिठाई, गंगाजल, पान, फूल, दही, शहद, फूल माला, खीर आदि रखकर उससे गोवर्धन पर्वत के चित्र की पूजा करें।
- इसके बाद गोवर्धन पर्वत के चारों ओर परिक्रमा करें।
- गोवर्धन पर्वत का चित्र जहां पर भी बना हो, उसी के आसपास तेल का दीपक जलाएं।
- दूध, दही, गंगाजल, बताशे इत्यादि से पूजा आरंभ करें।
- इसके बाद गोवर्धन पूजा मंत्र, कथा आदि का जाप करें।
- फिर भगवान श्री कृष्ण और ब्रज के देवता भगवान गिरिराज को अन्नकूट का भोग लगाएं।
- अब सभी लोगों को प्रसाद बांटे।
- इस दिन गायों की पूजा करने से भी भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं।