भारत ने पिछले एक दशक में तकनीक के क्षेत्र में जो छलांग लगाई है, वह सिर्फ संख्याओं की बात नहीं, बल्कि एक डिजिटल क्रांति की कहानी है। 2014 से 2025 के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने डिजिटल तकनीक को न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण जीवन का भी हिस्सा बना दिया है। तेज़ इंटरनेट, सस्ती डेटा दरें, एआई मिशन और डिजिलॉकर जैसे कदमों ने देश की डिजिटल संरचना को नई ऊँचाई दी है।
ग्रामीण और शहरी भारत की कनेक्टिविटी में आया ऐतिहासिक सुधार
मोदी सरकार के आने के बाद देश की दूरसंचार सेवाओं में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। शहरी इलाकों में जहाँ इंटरनेट का प्रसार तेज़ी से हुआ, वहीं गांवों को भी मजबूत नेटवर्क से जोड़ा गया।
➤ शहरी टेलीफोन कनेक्शन: मार्च 2014 में जहाँ 55.52 करोड़ कनेक्शन थे, वो अक्टूबर 2024 में बढ़कर 66.13 करोड़ हो गए।
➤ ग्रामीण टेलीफोन कनेक्शन: इसी अवधि में 37.77 करोड़ से बढ़कर 52.73 करोड़ हुए।
➤ कुल टेलीफोन कनेक्शन: 2014 के 93.3 करोड़ से बढ़कर 2025 में 120 करोड़ का आंकड़ा पार किया।
➤ यह डेटा दिखाता है कि देश अब लगभग हर नागरिक तक डिजिटल सेवाएं पहुंचाने की दिशा में सफलतापूर्वक बढ़ रहा है।
इंटरनेट और ब्रॉडबैंड में हुई बेमिसाल वृद्धि
भारत की डिजिटल ताकत का एक बड़ा आधार बना है इंटरनेट का बढ़ता प्रसार। 2014 में जहां इंटरनेट सिर्फ बड़े शहरों और सीमित वर्ग तक था, वहीं अब यह हर हाथ में मोबाइल और गांव-गांव में ब्रॉडबैंड के रूप में मौजूद है।
➤ इंटरनेट कनेक्शन: 2014 में सिर्फ 25.15 करोड़, लेकिन 2024 तक बढ़कर 96.96 करोड़ हो गए – यानी लगभग 285% की वृद्धि।
➤ ब्रॉडबैंड कनेक्शन: 2014 में जहां सिर्फ 6.1 करोड़ थे, वहीं अगस्त 2024 तक यह आंकड़ा 94.92 करोड़ तक पहुंच गया – करीब 1452% की ग्रोथ।
गांव भी बने हाई-स्पीड इंटरनेट से लैस
4G नेटवर्क के तेज़ विस्तार ने गांवों की तस्वीर बदल दी। दिसंबर 2024 तक देश के 6.15 लाख से अधिक गांवों में 4G मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंच चुकी है। यह साबित करता है कि डिजिटल इंडिया सिर्फ नारा नहीं, धरातल पर बदलती हकीकत है।
5G: भारत की डिजिटल रफ्तार को नई ऊंचाई
अक्टूबर 2022 में 5G सेवाओं की शुरुआत के बाद से भारत की डिजिटल गति और तेज़ हुई। मात्र 22 महीनों में 4.74 लाख से अधिक 5G बेस स्टेशन स्थापित कर दिए गए हैं, और अब देश के 99.6% जिले 5G से जुड़े हैं।
➤ इंटरनेट की दरें भी जनहित में नियंत्रित की गईं।
➤ 2014 में 1GB डेटा की कीमत ₹308 थी,
➤ 2022 तक यह घटकर ₹9.34 प्रति GB रह गई।
➤ यह सस्ती दरें भारत को दुनिया में सबसे किफायती डेटा उपयोग वाला देश बनाती हैं।
भारतनेट: गांव-गांव तक ऑप्टिकल फाइबर
भारतनेट परियोजना मोदी सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है, जिसका लक्ष्य ग्रामीण भारत को इंटरनेट से जोड़ना है। जनवरी 2025 तक:
➤ 2.18 लाख ग्राम पंचायतों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाई गई है।
➤ 6.92 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है।
➤ इससे पहले जहां ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की कल्पना भी नहीं की जाती थी, अब वहां ऑनलाइन शिक्षा, ई-हेल्थ और डिजिटल सेवाओं तक सीधी पहुंच संभव हुई है।
डिजिलॉकर: डिजिटल दस्तावेजों की नई दुनिया
2015 में शुरू हुआ डिजिलॉकर, अब नागरिकों की पहचान और जरूरी दस्तावेजों का भरोसेमंद डिजिटल भंडार बन चुका है।
➤ 2015 में सिर्फ 9.98 लाख यूज़र थे,
➤ लेकिन 2024 में यह संख्या बढ़कर 2031.99 लाख हो चुकी है।
➤ ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर शैक्षणिक प्रमाण पत्र तक – अब सब कुछ मोबाइल में उपलब्ध है।
इंडिया एआई मिशन: भविष्य के लिए तैयार भारत
7 मार्च 2024 को इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दी गई, जो भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ग्लोबल रेस में अग्रणी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
➤ मई 2025 तक भारत की कंप्यूटिंग क्षमता 34,000 GPU यूनिट्स से अधिक हो चुकी है।
➤ यह मिशन न केवल अनुसंधान और नवाचार को गति देगा, बल्कि स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में एआई के उपयोग को भी सशक्त करेगा।
2030 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था होगी निर्णायक शक्ति
सरकार का अनुमान है कि 2030 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था, देश की कुल अर्थव्यवस्था का 20% हिस्सा बन जाएगी। यह उस बदलाव की झलक है, जिसमें हर नागरिक एक डिजिटल भागीदार होगा – चाहे वह किसान हो, छात्र, व्यापारी या सरकारी कर्मचारी।
