एक तरफ विपक्षी एकता की कोशिश तो दूसरी तरफ अध्यादेश पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के टकराव पर नजरें बनी हुई हैं। ‘आप’ केंद्र सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांग रही है तो कांग्रेस की दिल्ली ईकाई लगातार पार्टी को इस पर विचार नहीं करने को कह रही है। अजय माकन और संदीप दीक्षित, अलका लांबा जैसे नेताओं के बाद दिल्ली के पूर्व मंत्री हारुन यूसुफ ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आलोचना करते हुए उन पर धोखा देने का आरोप लगाया है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हारुन ने कहा कि केजरीवाल अध्यादेश के मुद्दे पर एक बार फिर राजनीतिक लाभ लेने कोशिश कर रहे हैं जैसा कि उन्होंने 2013 में लोकपाल के नाम पर किया। शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे यूसुफ ने कहा कि केजरीवाल ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस से लोकपाल के नाम पर समर्थन लिया और फिर वादा पूरा नहीं किया।
एक दिन पहले ही अजय माकन ने ‘आप’ से दोस्ती को खुदकुशी जैसा बताया। उन्होंने कहा कि यदि हम खुदकुशी ही कर लेंगे तो ‘मोहब्बत की दुकान’ कैसे चला पाएंगे। अब यूसुफ ने केजरीवाल पर जमकर प्रहार किया है। उन्होंने 2013 में कांग्रेस के समर्थन से बनी ‘आप’ सरकार का जिक्र करते हुए कहा, ‘केजरीवाल जो आज कर रहे हैं, उसमें कुछ भी नया नहीं है। 2013 चुनाव के बाद भी उन्होंने ऐसा ही किया, जब मैं सीएलपी नेता था। उन्होंने लोकपाल बिल पास करने के लिए सरकार बनाने की बात कही और इसके लिए हमसे समर्थन मांगा। हमारे नेताओं का उपहास करने के बावजूद हमने दिल्ली की भलाई के लिए उनका समर्थन किया। बाद में क्या हुआ हम सब जानते हैं। उन्होंने लोकपाल बिल पास किए बिना 49 दिन बाद सरकार भंग कर दी।’
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच लंबे समय से अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग अधिकार को लेकर जंग चल रही है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सेवाओं पर अधिकार (पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर) दिया तो केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर फैसले को निष्प्रभावी कर दिया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि केजरीवाल अध्यादेश का इस्तेमाल करके खुद को राष्ट्रीय नेता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। नेता ने कहा, ‘केजरीवाल न केवल खुद को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में पेश करने के लिए अध्यादेश का इस्तेमाल कर रहे हैं, बल्कि वह इसका इस्तेमाल कांग्रेस की बांह मरोड़ने के लिए कर रहे हैं।’
पिछले महीने केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के लिए समय की मांग की थी, जिस पर अभी तक कांग्रेस ने प्रतिक्रिया नहीं दी है। 23 जून को पटना में केजरीवाल का सामना खरगे और राहुल गांधी से जरूर हुआ। बैठक से पहले और बैठक के दौरान भी आप संयोजक ने कांग्रेस पर दबाव बनाकर अध्यादेश पर रुख स्पष्ट करने को कहा। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस पर पार्टी कोई भी फैसला मॉनसून सत्र के दौरान ही लेगी। इस बीच ‘आप’ के प्रवक्ता ने कांग्रेस और भाजपा में डील का आरोप भी लगा दिया।