रक्षामंत्री राजनाथ सिंह एक मई से तीन मई तक मालदीव की अपनी यात्रा के दौरान द्वीपीय देश को भारत की ओर से उपहार के तौर पर एक तेज गति की गश्ती नौका और एक ‘लैंडिंग क्राफ्ट’ सौंपेंगे। रक्षा मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी दी और कहा कि सिंह की मालदीव यात्रा दोनों देशों के बीच मित्रता का ‘‘मजबूत बंधन” बनाने में एक “महत्वपूर्ण मील का पत्थर” साबित होगी। मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंध पिछले कुछ वर्षों में और मजबूत हुए हैं। मालदीव को सैन्य प्लेटफार्म प्रदान करने का भारत का निर्णय ऐसे समय आया है जब चीन इस क्षेत्र में अपने समग्र प्रभाव का विस्तार करने के लगातार प्रयासों में जुटा हुआ है।

सिंह अपनी इस यात्रा के दौरान मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद और रक्षा मंत्री मारिया दीदी से मुलाकात करेंगे। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मैत्रीपूर्ण देशों और क्षेत्र में भागीदारों की क्षमता निर्माण को लेकर भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप, मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बलों को एक तेज गश्ती पोत और एक लैंडिंग क्राफ्ट उपहार में देंगे।” ‘लैंडिंग क्राफ्ट’ छोटे और मध्यम समुद्री जहाज होते हैं। सिंह मालदीव में भारत की सहायता वाली विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन का जायजा भी लेंगे और भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत करेंगे।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत और मालदीव समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, कट्टरवाद, समुद्री डकैती, तस्करी, संगठित अपराध और प्राकृतिक आपदाओं सहित साझा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।” बयान में कहा गया, ‘‘भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति के साथ ही मालदीव की ‘भारत पहले’ नीति के साथ एसएजीएआर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) की दृष्टि का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के भीतर क्षमताओं को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए मिलकर काम करना है।” इसमें कहा गया कि मालदीव के रक्षा और विदेश मंत्रियों के साथ सिंह की बातचीत में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की जाएगी।

मालदीव भी भारत की पड़ोसी पहले नीति के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है। पिछले साल अगस्त में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह ने भारत द्वारा वित्तपोषित ‘ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट’ (जीएमसीपी) शुरू किया, जिसे द्वीपीय राष्ट्र में सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा पहल बताया गया है। परियोजना के तहत, मालदीव की राजधानी माले को निकटवर्ती द्वीपों विलिंगली, गुल्हिफाल्हू और थिलाफुशी से जोड़ने के लिए 6.74 किलोमीटर लंबा पुल और ‘कॉजवे लिंक’ बनाया जाएगा। रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने पिछले महीने मालदीव का दौरा किया था और मालदीव के अपने समकक्ष मेजर जनरल अब्दुल्ला शमाल के साथ बातचीत की थी।

 

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