भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव और पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर देश की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। लेकिन इन चुनौतियों के बीच भारतीय सेना लगातार अपनी ताकत और रणनीतिक क्षमता को मजबूत करने में जुटी हुई है। अब भारतीय नौसेना को समुद्री मोर्चे पर बड़ी बढ़त मिलने जा रही है। जल्द ही ‘INS तमाल’ नाम का एक और अत्याधुनिक युद्धपोत नौसेना के बेड़े में शामिल होने वाला है।

क्या है INS तमाल?
INS तमाल एक 3,900 टन वजनी आधुनिक युद्धपोत है, जिसे रूस के प्रसिद्ध यंतर शिपयार्ड में तैयार किया गया है। यह भारत और रूस के बीच 2016 में हुए रक्षा समझौते के तहत बन रहा है। यह समझौता चार उन्नत क्रिवाक-III श्रेणी के फ्रिगेट्स के निर्माण और आपूर्ति को लेकर हुआ था। INS तमाल इन चार में से दूसरा फ्रिगेट है, जिसे रूस भारत को सौंपने वाला है। इससे पहले INS तुशील को दिसंबर 2024 में भारत को सौंपा गया था।

कब और कहां होगा INS तमाल का शामिल होना?
रिपोर्ट्स के मुताबिक INS तमाल को एक महीने के भीतर रूस के लेनिनग्राद में भारत को औपचारिक रूप से सौंपा जाएगा। यह सौंपा जाना तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल रूस यात्रा के दौरान पहले फ्रिगेट INS तुशील को खुद रिसीव किया था।

हथियारों से लबालब है INS तमाल
INS तमाल को नौसैनिक युद्ध के सभी क्षेत्रों में मिशन संचालन की क्षमता के साथ डिजाइन किया गया है। यह जहाज़ कई अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों से लैस है, जिनमें शामिल हैं:

  • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल — जो जमीन या समुद्र पर मौजूद लक्ष्यों को पल भर में तबाह कर सकती है।
  • सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली — जिससे आसमानी खतरे भी फौरन नष्ट किए जा सकते हैं।
  • पनडुब्बी रोधी टारपीडो और रॉकेट लॉन्चर — जिससे पानी के नीचे छिपे दुश्मन को भी खत्म किया जा सके।

यह युद्धपोत हर हालात में दुश्मन को जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है।

INS तमाल की मुख्य विशेषताएं

  • गति: INS तमाल 30 नॉट्स (लगभग 55 किमी प्रति घंटा) की रफ्तार से दौड़ सकता है।
  • रेंज: यह जहाज़ हर 3 हजार किलोमीटर पर सीमा की निगरानी और रक्षा करने की क्षमता रखता है।
  • नाम का अर्थ: ‘तमाल’ एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘तलवार’ — यानी तेज़, धारदार और आक्रामक। यह नाम इस युद्धपोत के स्वरूप और उद्देश्य को पूरी तरह दर्शाता है।

दो जहाज़ रूस से, दो भारत में बनेंगे
जहां INS तुशील और INS तमाल रूस से भारत को सौंपे जा रहे हैं, वहीं बाकी दो युद्धपोत — त्रिपुत और तवस्या — भारत के गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में तकनीकी ट्रांसफर के तहत बन रहे हैं। इन दो जहाजों की अनुमानित लागत लगभग ₹13,000 करोड़ रुपये है, जबकि रूस से आने वाले दो फ्रिगेट्स की कीमत करीब ₹8,000 करोड़ रुपये है।

नौसेना की रणनीतिक ताकत को नई धार
INS तमाल जैसे अत्याधुनिक युद्धपोत केवल हथियार नहीं, बल्कि भारत की समुद्री रणनीति के मजबूत स्तंभ बनते जा रहे हैं। ब्लू-वाटर ऑपरेशन यानी गहरे समुद्रों में लंबे समय तक संचालन की क्षमता रखने वाले इन जहाजों से भारत अपने समुद्री सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक दबदबा कायम कर सकता है।

अंतिम चरण में INS तमाल की तैयारी
वर्तमान में INS तमाल ने रूस में अपने सभी तकनीकी परीक्षण लगभग पूरे कर लिए हैं और जल्द ही उसे भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा। इसके बाद इसे भारत लाकर औपचारिक कमीशनिंग प्रक्रिया से गुजारा जाएगा। इस तरह यह युद्धपोत भी भारतीय समुद्री सीमा का अभेद्य प्रहरी बन जाएगा।

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