कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के एक इलाके में लोग सख्ताहाल सड़क से इतने ज्यादा परेशान हुए कि उन्होंने खुद उसकी मरम्मत करवा डाली। उनका आरोप है कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के पास उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में अब उन्होंने टैक्स नहीं देने के लिए एक खास अभियान भी शुरू किया है।

ये मामला पूर्वी बेंगलुरु के चिक्कनायकनहल्ली का है। वहां के लोग पिछले 10 साल से खराब बुनियादी ढांचे को लेकर परेशान हैं। इस वजह से उन्होंने ‘नो डेवलपमेंट नो टैक्स’ अभियान शुरू किया है। उनका ये भी दावा है कि वो अपनी जेब से पैसा लगाकर सड़कों की मरम्मत करवा रहे।

मामले में एक स्थानीय निवासी ने बताया कि इलाके की सड़क बहुत ज्यादा खराब थी, जिस वजह से रोजाना हादसे होते थे। ऐसे में उन्होंने अपने खर्च पर उसकी मरम्मत का फैसला लिया, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लग गए। 14 अगस्त से शुरू हुआ काम अभी भी जारी है। उन्होंने अधिकारियों और विधायकों से ये भी सवाल पूछा कि जब उनको खुद ही ये सब काम करवाने हैं, तो वो फिर टैक्स क्यों भर रहे हैं।

वहीं सिटीजन्स मूवमेंट, ईस्ट बेंगलुरु के आरिफ मुद्गल ने कहा कि सरकारी अधिकारी और निर्वाचित प्रतिनिधि अपना काम नहीं कर रहे हैं। पिछले 10 साल में पूरी सड़क का डामरीकरण तक नहीं हुआ। पिछले डेढ़ साल में इसमें गड्ढे हो गए, जिस वजह से हादसे हो रहे थे। वो ये बात समझ गए थे कि अधिकारियों से इसकी बात करना व्यर्थ है, ऐसे में उन्होंने खुद ही उसकी मरम्मत का फैसला लिया।

वहीं विधायक बहाना बना रहे, उन्होंने कहा कि फंड नहीं दिया गया है, जबकि पंचायत अधिकारी पीडब्ल्यूडी के पास जाने को कह रहे, क्योंकि उनके पास फंड की कमी है। मुद्गल के मुताबिक इलाके में चार सड़क हादसे हुए थे, जिस वजह से उन्होंने मिलकर सड़क बनवाने का काम शुरू किया।

उनको मरम्मत करने और कंक्रीट मिक्सर ट्रक लाने में 46,000 रुपये का खर्च आया। इसके अलावा 15 दिनों तक पानी का टैंकर मंगाया गया, जिसके लिए 1200 रुपये प्रति दिन के हिसाब से खर्च हुए। उन्होंने ये भी कहा कि अगर वो एक साल तक टैक्स नहीं देंगे, तो वो लोग खुद ही मूलभूत सुविधाओं की मरम्मत करने में सक्षम हैं। वो इस प्रस्ताव को अधिकारियों को भेज रहे हैं।

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